Friday, 17 July 2020

जहाँ न पहुँचे रवि (कोई), वहाँ पहुँचे मास्टर मुजाहिद

डिस्क्लेमर :  इस लेख में कोचाधामन विधायक श्री  मास्टर मुजाहिद आलम के कार्यों को साझा किया गया है, अगर आप किसी बात से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते तो आपके फीडबैक का स्वागत है 

एक मशहूर कहावत है, " जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि" | ये कहावत हम बचपन से सुनते आ रहे हैं और इसका इस्तेमाल सिर्फ कवियों के लिए ही नहीं बल्कि दूसरे छेत्रों में सक्रिय व्यक्तियों के लिए किया जा सकता है | जब अपने आसपास के हमेशा रहने वाले लोगों / शख्सियतों पर नज़र दौड़ाता हूँ कोचाधामन के विधायक श्री मुजाहिद आलम का नाम और उनके काम इस कहावत  " जहा न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि" को जीवंत करते हैं | जी हाँ, वे कहावत के वही कवि हैं जहाँ तक शायद सही से रवि (यानि सूरज) नहीं पहुँचते | आसान शब्दों में कहें तो कोचाधामन विधायक जिन्होने समाजसेवा से जन प्रतिनिधि के दिशा में अपने करियर की शुरुवात की हर सुख - दुःख में अपने विधानसभा ही नहीं बल्कि पुरे किशनगंज ज़िले के लोगों के साथ रहते हैं |



मास्टर का लक़ब उनको आम लोगों ने दिया है और वे मुजाहिद आलम बल्कि मास्टर मुजाहिद आलम के नाम से मशहूर हैं | वे मशहूर सिर्फ अपने नाम नहीं बल्कि अपने काम के लिए जाने जाते हैं | चाहे छेत्र भ्रमण हो या, आम लोगों की समस्या, विकास योजना हो या प्राकृतिक आपदा, एक सूरज की तरह ग़म के माहौल में रौशनी फ़ैलाने के लिए  मास्टर मुजाहिद आलम हमेशा पेश - पेश रहते हैं | जनप्रतिनिधि के रूप में उनकी एक बहुत अच्छी आदत ये भी है कि आप कभी भी उन्हें फ़ोन करें आपकी बातों को धैर्य से सुनकर मामले का हल निकालने की कोशिश करते हैं | अगर कोई जनप्रतिनिधि अगर आपसे फोन पर सही से बात करलें तो आम नागरिक को अच्छा महसूस होता है और उम्मीद जगती है कि काम हो जाएगा | 

वर्ष 2014 से पहली बार चुनाव जीतने के बाद से आज तक आमजनों के समस्याओं को सुलझाने में सक्रिय रहकर मास्टर मुजाहिद आलम ने कोचाधामन एवं किशनगंज को राजनीति का नया तरीका बताया है जिससे उनके प्रतिद्वेंदी भी प्रेरित होते हैं | यहाँ तक कि कोरोना महामारी में जब सबको संक्रमण का ख़तरा है उन्होंने अपने विधानसभा छेत्रों का लगातार दौरा किया और लोगों में जनचेतना फ़ैलाने के साथ-साथ सरकारी अनुदान को सही तरह से वितरित करवाने में सक्रीय भूमिका निभाई | अभी किशनगंज ज़िलें में नदियाँ उफान पर है, बाढ़ जैसे हालात बने हैं गाँव के गाँव कट रहे हैं | दुःख की इस घड़ी में पुरे ज़िले के चारों विधानसभा में  मास्टर मुजाहिद आलम से ज़्यादा शायद ही कोई सक्रिय है और वे बाढ़ पीड़ित छेत्रों का दौरा कर रहे हैं और लोगों का दर्द बाँट रहे हैं साथ - ही - साथ हर संभव मदद पहुँचा रहे हैं | 

  मास्टर मुजाहिद आलम  की फेसबुक वाल से उनके दौरे की कुछ तस्वीरें निचे साझा कर रहा हूँ |   

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