Thursday 28 December 2017

किशनगंज के 5 सपने (परियोजना) जिनका वर्षों से है इंतज़ार, इनके पूरा नहीं होने के लिए कौन है ज़िम्मेदार ?

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किशनगंज के 5 सपने (परियोजना) जिनका वर्षों से है इंतज़ार, इनके पूरा नहीं होने के लिए कौन है ज़िम्मेदार?

बिहार और देश के सीमावर्ती इलाक़े में स्तिथ किशनगंज ज़िला विकास के मामले में वर्षों से उपेक्षित रही है ! विकास एवं अर्थव्यवस्था के प्रमुख मापदंड क्रमशः शिक्षा, रोज़गार, अच्छी स्वास्थय सेवा आदि में किशनगंज का इलाक़ा आज़ादी के बाद से ही काफी पिछड़ा रहा है ! जहाँ एक तरफ यह छेत्र भोगौलिक स्तिथि के कारण राजनैतिक नज़रअंदाज़ी का शिकार हुआ है वहीँ दूसरी तरफ विकास के कई परियोजनाओं के अधर में लटकने से भी आम जनता को काफी निराशा का सामना करना पड़ा है ! हालाँकि ऐसे दर्ज़नों महत्वकांशी परियोजनाएँ लेकिन इस लेख के ज़रिए मैं 5 (पाँच) परियोजनाओं का संक्षेप में उल्लेख करूँगा जिससे किशनगंज और पुरे सीमांचल छेत्र को नुकसान हुआ है ! 



उन पाँच परियोजनाओं के नाम क्रमशः हैं
(1) महानंदा बेसिन परियोजना (Mahananda Basin Project) 

(2) जुट मिल परियोजना (Jute Mill Project) 

(3) किशनगंज का टी सिटी के रूप में विकास (Declaring Kishanganj as Tea City) 

(4) एएमयू किशनगंज सेंटर के लिए फंड (Fund for AMU Kishanganj) 

 (5) रफ़ी अहमद किदवई यूनिवर्सिटी / एम्स परियोजना (Rafi Ahmad Kidwai University / AIIMS Kishanganj) ! 

इन परियोजनाओं के अधर में लटकने की कई वजह है जहाँ केंद्र सरकार / राज्य सरकार ने इनको गंभीरता से नहीं लेते हुए समय पर कारवाई नहीं की, वहीँ स्थानीय नेताओं (सांसद / विधायकों) ने इन परियोजनाओं पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया ! इस परियोजनाओं के अधर में लटकने की वज़ह से जहाँ किशनगंज ज़िले के लोगों को काफी नुकसान हुआ है वहीँ सीमांचल और बिहार के विकास की गाड़ी को भी झटका लगा है ! 

(1) महानंदा बेसिन परियोजना (Mahananda Basin Project) : क़रीब 11 वर्ष पहले 2006 में केंद्रीय सरकार ने 4900 करोड़ रुपए वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा की जिससे किशनगंज के साथ - साथ सीमांचल के कई ज़िलों कटिहार, पूर्णिया और अररिया को लाभ मिलने वाला था ! इस परियोजना के अंतर्गत बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा महानंदा और इसकी सहायक नदियों को आपस में जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है ! अगर यह परियोजना पूरी हो जाती तो इस इलाके में रहने वाले लोगों को हर वर्ष बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से राहत मिल जाती ! लोगों को नेपाल से भारत में बहने वाली नदियों जैसे मेची नदी एवं अन्य नदियों से मॉनसून के दौरान छोड़े गए पानी से राहत मिल जाती ! गौरतलब हो की हर वर्ष बाढ़ के कारण आम लोगों को जानमाल का भारी नुकसान हुआ है और अरबों की संपति तबाह हो जाती है ! हालाँकि सरकार को महानंदा बेसिन परियोजना की विशेषताओं एवं लाभ का पता है लेकिन 11 वर्ष गुजरने के बाद भी इस परियोजना पर काम शुरू नहीं हुआ है जिससे आम जनता को काफी नुकसान सहना पड़ता है ! 

(2) जुट मिल परियोजना (Jute Mill Project) : किशनगंज और पूर्णिया प्रमंडल के ज़िलों में बड़े पैमाने पर जुट (पटसन) की खेती की जाती है ! इसी तथ्य को ध्यान में रखकर किशनगंज जिला मुख्यालय के अंतर्गत सिमलबारी के समीप जुट मिल के स्थापना का कार्य करीब 15 वर्ष पहले पूर्व सांसद श्री शाहनवाज़ हुसैन के कार्यकाल में शुरू हुआ था ! लेकिन  सरकार और सांसद बदलते ही किशनगंज में जुट मिल परियोजना अधर में अटक गई ! अगर जुट मिल परियोजना का काम पूरा हो जाता तो यह जिलावासियों के लिए बड़ी सौगात होती ! 

(3) किशनगंज का टी सिटी के रूप में विकास (Declaring Kishanganj as Tea City) - किशनगंज में बड़ी मात्रा में चाय का उत्पाद किया जाता है लेकिन उचित संख्या में प्रोसेसिंग फैक्ट्री नहीं होने के कारण उत्पाद का सही लाभ नहीं मिल पता है ! हालाँकि किशनगंज को टी सिटी के रूप में घोषित करने की माँग लंबे समय से चल रही है लेकिन सरकार ने इस और कोई खास नहीं दिया है ! अगर किशनगंज का टी सिटी के रूप में विकसित किया जाए तो आम लोगों को काफी लाभ पहुँचेगा और रोज़गार के अवसर विकसित होंगे !

(4) एएमयू किशनगंज सेंटर के लिए फंड (Fund for AMU Kishanganj) - वर्ष 2008 - 09 में यूपीए सरकार ने सच्चर कमिटी की अनुशंसा पर किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के ऑफ-कैंपस सेंटर का निर्णय लिया ! हालाँकि यूपीए सरकार ने इस सेंटर को 400 करोड़ अनुदान देने की घोषणा की लेकिन वर्ष 2013 में आधिकारिक तौर पर पठन-पाठ्य शुरू  होने के बाद भी इस सेंटर को सिर्फ 10 करोड़ रुपए मिले हैं ! फण्ड नहीं मिलने से एएमयू किशनगंज सेंटर को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा है और कैंपस में भवन निर्माण का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है ! अगर एएमयू किशनगंज सेंटर समय पर स्थापित हो जाता है तो इस इलाके के लोगों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसर प्राप्त होंगे ! 

(5) रफ़ी अहमद किदवई यूनिवर्सिटी / एम्स परियोजना (Rafi Ahmad Kidwai University / AIIMS Kishanganj) - वर्ष 2012 में यूपीए सरकार ने किशनगंज में रफ़ी अहमद किदवई यूनिवर्सिटी (हैल्थ एंड मेडिकल साइंसेज) की स्थापना का निर्णय लिया वहीँ वर्ष 2016 में मौजूदा एनडीए सरकार की अनुशंसा पर एम्स की स्थापना की बात आई, लेकिन यह परियोजनाएं भी अधर में अटक गई ! इन परियोजनाओं के भविष्य अधर में ही है और उम्मीद नहीं है कि ये कभी पूरी होंगी जिससे किशनगंज के विकास की मंज़िल को बड़ा झटका लगा है ! 
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