Friday, 21 June 2013

सीमांचल को शिक्षित बनाने के लिए स्कूल खोलना अनिवार्य! ह्यूमन चेन

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सीमांचलवासियों की गैरसरकारी संस्था ह्यूमन चेन ने गुरुवार को दिल्ली में "शिक्षा के प्रसार के लिए सभ्य समाज की भूमिका" के विषय पर एक विचार-गोष्ठी का आयोजन किया! गोष्ठी में मौजूद प्रतिभागियों ने शिक्षा को लेकर विचार विमर्श किया और जिसमे मुख्य रूप से ह्यूमन चेन के अध्यक्ष मोहम्मद असलम, मुख्य-अतिथि सिराजुद्दीन कुरैशी (अध्यक्ष इंडिया इस्लामिक सांस्कृतिक सेंटर) के अलावा मुख्य रूप से यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी मेघालय के कुलपति महबूबुल हक़, पदमश्री प्रोफेसर अख्तरुल वासे और आसिफ रमीज़ दाउदी प्रोफेसर जुबैल इंडस्ट्रियल कॉलेज (सऊदी अरब) आदि शामिल थे! 

Symposium 
मोहद असलम ने भारत में मुस्लिम समुदाय खासकर सीमांचल में शिक्षा की देनिय स्तिथि के बारे में विस्तृत आंकड़े पेश किया और सभ्य समाजसे इस छेत्र की तरफ खास ध्यान देने का आग्रह किया! मंच का सञ्चालन मुजाहिद अख्तर ने किया, वहीँ संस्था के उपाध्यक्ष मोहद मुदस्सिर आलम, सचिव मिन्नत रहमानी, आबिद अनवर, तारिक सुफ्यान, सलाम अनवर, नसीम हैदर, आदि ने सीमांचल में शिक्षा के छेत्र में सुधार लाने के लिए  स्कूल और कोचिंग सेंटर खोलने पर जोर दिया! 

सिराजुद्दीन कुरैशी ने ह्यूमन चेन उपदेशक पद के निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार करते हुए कहा की वो अपनी तरफ से संस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए हर संभव मदद प्रदान करेंगे! असम और पूर्वर्ती राज्यों में कई स्कूल और कॉलेज के संस्थापक महबूबुल हक़ ने अपने अनुभव को बयान करते हुए सभा में मोजूद लोगों से आग्रह किया की वोह अपने शहर और कसबे में कम से कम एक स्कूल खोले ताकि शिक्षा के छेत्र में समाज और देश का विकास हो! आसिफ रमीज़ दाउदी ने ह्यूमन चेन के खाड़ी देश की शाखा की अध्यक्ष्ता स्वीकार करते हुए कहा की वो संस्था के काम से काफी खुश हैं और अपना भरपूर योगदान चेन को मजबूत करने में देंगे!

Audience


प्रोफेसर वासे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की सिर्फ सरकार को बदनाम करने से या शिकायती लहज़ा रखने से कुछ प्राप्त होने वाला नहीं है, समय आ गया है की  सभ्य समाज और ह्यूमन चेन जैसी संस्था खुद अपने अधिकारों खासकर समाज को शिक्षित बनाने के लिए खुद प्रयास करें! गोष्ठी में वासिम अख्तर, मंसूर आलम, सरवर आलम, गजनफर इलाही, शाह फ़िरोज़, जहाँगीर आलम, गुलाम तारिक, नजीब सागर, शाह आज़म, दिलशाद आलम, मोकर्रम ज़िया, मुनिस जानिसार, दिलशाद गनी, हरिस मरवान आदि मौजूद थे!

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