-->
मुख्य न्यायाधीश एल. नरसिम्हा रेड्डी एवं न्यायमूर्ति सुधीर सिंह की खंडपीठ ने बुधवार (29 अप्रैल 2015) को 17 अगस्त, 1995 के बाद की सभी बीएड डिग्री, जो जम्मू कश्मीर के प्रशिक्षण संस्थानों से निर्गत की गई है को अमान्य करार दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में 550 रिक्त पदों पर शिक्षक भर्ती का रास्ता साफ हो गया। विदित हो कि न्यायमूर्ति मिहिर कुमार झा की एकलपीठ ने भी उक्त डिग्रियों को अमान्य करार कर दिया था। उस फैसले के खिलाफ सभी शिक्षक नियुक्ति के जिनकी बीएड डिग्री जम्मू कश्मीर से थी, इस खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की थी। अपील को पहले न्यायमूर्ति इकबाल अहमद अंसारी की खंडपीठ ने एडमिट कर राज्य सरकार को आदेश दिया की 550 रिक्तियों को छोड़कर बाकी पदों पर नियुक्ति कर दी जाए।

बुधवार को सुनवाई में अपील का विरोध करते हुए राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण परिषद (एनसीटीई) के वकील ने कानून का हवाला देते हुए कहा कि अधिनियम के तहत शिक्षक प्रशिक्षण की देख-रेख करने वाली परिषद एक वैधानिक निकाय है, जिससे सभी प्रशिक्षण संस्थान को मान्यता मिलती है। ये परिषद 17 अगस्त, 1995 से कानूनतः आरंभ हुआ। उससे पहले राज्य से मान्यता प्राप्त संस्था प्रशिक्षण देती थी। एनसीटीई कानून की दफा 12 के तहत उक्त कानून जम्मू कश्मीर को छोड़कर सारे भारत में लागू होता है। जब जम्मू कश्मीर में लागू ही नहीं होता तो फिर डिग्री की मान्यता का प्रश्न कहां उठता है।
No comments:
Post a Comment