Wednesday, 20 July 2016

श्रृद्धांजलि! हिन्दू - मुस्लिम एकता एवं बाबरी मस्जिद केस के पैरोकार हाशिम अंसारी का निधन


"विविधता में एकता" का देश भारत और यहाँ की गंगी-जमनी तहज़ीब दुनिया भर में मशहूर है! इस देश ने कई सपूत जन्मे हैं जो विचारों में मतभेद के बावजूद सबसे पहले अपनी जन्भूमि और इंसानियत को प्राथमिकता दी है!  इस भारतीयता की एक बेहतरीन मिसाल रहे हाशिम अंसारी का आज (20 जुलाई, 2016) सुबह 5 बजे अयोध्या (फैज़ाबाद) में निधन हो गया! हालाँकि हाशिम अंसारी बाबरी मस्जिद केस के प्रमुख मुद्दई रहे हैं, लेकिन उनकी मंदिर पक्ष के मुद्दईयों से दोस्ती के किस्से काफी मशहूर रहे हैं! 



बाबरी मस्जिद - राम जनम भूमि विवाद को लेकर विचारों में मतभेद होने के बावजूद "चचा" के नाम से मशहूर हाशिम अंसारी का दिगंबर अखाडा के प्रमुख मुद्दईयों राम केवल दास और राम चंद्र परमहंस से काफी मित्रता थी! यह कहा जाता है कि मामले की सुनवाई के दौरान हाशिम अंसारी और राम चंद्र परमहंस एक ही रिक्शे पर बैठकर कोर्ट परिसर पहुँचते थे! राम मंदिर आन्दोलन के शलाका पुरूष रहे परमहंस रामचन्द्र दास के वह अभिन्न मित्र थे। तेरह साल पहले परमहंस की हुई मृत्यु पर आया उनका बयान 'मेरा दोस्त मुझसे पहले चला गया।' आज भी लोगों की जुबान पर है।

22 - 23 दिसम्बर 1949 को विवादित ढांचे में रामलला की मूर्ति प्रकट होने के बाद फैजाबाद की कचहरी में बाबरी मस्जिद की तरफ से मुकदमा दायर करने वाले वह पहले पैरोकार थे। मंदिर आंदोलन के दौरान अयोध्या में तनाव रहने के बावजूद वह लोगों से शांति की ही अपील करते रहते थे। उनका हिन्दू और मुसलमान दोनों में बराबर का सम्मान था। 

96 वर्षीय हासिम अंसारी बीमार चल रहे थे और लंबे समय से सांस और अन्य तरह की समस्याओं से जूझ रहे थे। उनकी मृत्यु की खबर सुनते ही उनके घर पर लोगों का तांता लगना शुरू हो गया। लम्बे समय से बीमार चल रहे अंसारी के निधन पर अयोध्या के कई संतो महंतो ने भी शोक व्यक्त किया। उनके निधन पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष और प्रसिद्ध हनुमानगढी के महंत ज्ञान दास ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मंदिर मस्जिद विवाद का सुलह समझौते से हल चाहने वाला व्यक्ति चला गया। एक पक्ष के पैरोकार होने के बावजूद अंसारी ने हमेशा दोनो पक्षों से धैर्य बनाये रखने की अपील करते रहते थे।

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