Monday, 11 July 2016

जिम्मेदार कौन? लौचा घाट पर पुल नहीं होने कारण महिला की असामयिक मौत

पिछले हफ्ते शनिवार को किशनगंज के टेढ़ागाछ ब्लॉक में प्रसव पीड़ा से तड़प रही 30 वर्षीय महिला रौशन ने पुल के अभाव में नाव से लौचा घाट पार करते ही अस्पताल ले जाने के क्रम में दम तोड़ दिया! अगर कनकई नदी पर चार साल से निर्माणाधीन लौचा पुल समय पर बनकर तैयार हो जाता तो रौशन की जान बच सकती थी! रौशन की मौत बहुत ही ज्यादा दुखदायक घटना है, और यह देश और राज्य की व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाता है? 



देश एक तरफ आज़ादी की 70 वीं वर्षगाँठ मनाने की तैयारी कर रहा है वहीँ कई ऐसे राज्य खासकर बिहार में कुछ ऐसे प्रांत हैं जहाँ अभी तक हालात अँग्रेज़ों के शासनकाल की तरह है! ऐसा ही एक इलाका है बिहार के सीमावर्ती जिले किशनगंज के टेढ़ागाछ ब्लॉक का जहाँ पर लोग मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित हैं! जहाँ एक तरफ देश और बिहार में विकास के दावे ठोकने से केंद्र और राज्य सरकार कोई भी मौका नहीं गँवाती, वहीँ टेढ़ागाछ ब्लॉक में आज भी लोग सड़क मार्ग पर पुल के अभाव में बिनमौत अपनी जान गँवा रहे हैं! बहुत ही दुखद बात है कि पिछले हफ्ते शनिवार को 30 वर्षीय महिला रौशन ने पुल के अभाव में लौचा घाट समय पर पार नहीं कर पाई और अस्पताल जाते वक़्त रास्ते में ही दम तोड़ दिया! प्राप्त जानकारी के अनुसार रौशन प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी और परिवार वाले उसे बहादुरगंज डॉक्टर के पास ले जा रहे थे, लेकिन लौचा घाट पर नाव मिलने में हुई देरी की वजह से उनकी हालत ख़राब होती जा रही थी! जहाँ रौशन जिंदगी और मौत से जंग लड़ रही थी वहीँ उनके परिजन करीब एक घंटे के जद्दोजहद के बाद नाव का इंतेज़ाम कर पाए! बड़े नाव से रौशन को मॉनसून की वजह से उफ़नती कनकई नदी के पार लाया गया लेकिन तब तक उनकी तबियत बहुत ज्यादा बिगड़ चुकी थी और बहादुरगंज ले जाने के क्रम में उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया!

इस दुखद घटना के बाद रौशन के परिजनों के साथ-साथ टेढ़ागाछ के लोगों में काफी रोष है! वहीँ सोशल मीडिया पर भी रोष जताते हुए स्थानीय लोगों ने किशनगंज के सांसद, बहादुरगंज विधानसभा के विधायक के अलावा राज्य सरकार को आड़े हाथ लिया है! उनका कहना है कि अगर लौचा घाट पर पुल होता तो रौशन की जान बच सकती थी! गौरतलब हो कि टेढ़ागाछ ब्लॉक के लोगों के लंबे इंतेज़ार के बाद चार (4) वर्ष पूर्व 2012 में बिहार सरकार ने कनकई (कौल) नदी में लौचा घाट पर पुल निर्माण की घोषणा की थी! करीब 36 करोड़ की लागत वाले आरसीसी पुल का कॉन्ट्रैक्ट कटिहार स्तिथ माँ काली कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था! पुल निर्माण की घोषणा से ही इस इलाके में रहने वाले लोगों में काफी उत्साह था, ऐसा लग रहा था मानों की उन्हें वर्षों की परेशानी से आज़ादी मिल गयी हो! वहीँ तत्कालीन मुख़्यमंत्री श्री नितीश कुमार ने हेलीकाप्टर के माध्यम से लौचा घाट जाकर पुल निर्माण कार्य का औपचारिक शिलान्यास भी वर्ष 2012 में किया था और इस पुल का कार्य 2 (दो) वर्षों के अंतराल में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया था! लेकिन पुल निर्माण कंपनी के धीमे काम की रफ़्तार, स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार की नज़रअंदाज़ी से यह पुल चार वर्ष में भी बनकर तैयार नहीं हो पाया! अगर कनकई नदी पर चार साल से निर्माणाधीन लौचा पुल समय पर बनकर तैयार हो जाता तो रौशन की जान बच सकती थी! 

रौशन की मौत बहुत ही ज्यादा दुखदायक घटना है, और यह देश और राज्य की व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाता है? सिर्फ रौशन ही नहीं बल्कि उनके जैसी देशभर में हज़ारों महिलायें हैं जिन्होंने सड़क संसाधन के अभाव में अपनी जान गवाई है! अगर स्वंतत्र गणराज्य में किसी देशवासी की मौत सिर्फ एक पुल के अभाव में समय पर अस्तपाल पहुँचने से हो जाए तो इससे बड़ी दुःख की बात हो कोई और नहीं सकती! एक प्रगतिशील देश होने के बावजूद आज भी कई इलाक़े साल भर देश के दूसरों हिस्सों से सड़क और पुल के अभाव में कटे रहते हैं! मॉनसून और भारी बारिश की वजह से इन इलाकों में रहने वाले लोगों की जिंदगी बद से बदतर हो जाती है! जहाँ सरकार देश में बुलेट ट्रैन प्रारंभ करने की योजना बना रही है, वहाँ टेढ़ागाछ ब्लॉक में लौचा घाट पर पुल के अभाव में लोगों की असामयिकमौत देश की संप्रभुता और विकास के दावों को खोखला साबित करते हुए एक बहुत बड़ा प्रश्न चिंह लगाता हैं!  इस दुखद घटना से सबक़ लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को टेढ़ागाछ ब्लॉक जैसी जगहों को तवरित कारवाई करते हुए कम-से-कम सड़क मार्ग / पुल के माध्यम से जिला मुख्यालय से जोड़ना चाहिए, वरना रौशन की तरह आने वाले दिनों में भी बिनमौत लोगों की जिंदगी गँवाने का सिलसिला जारी रहेगा! 

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