Thursday, 18 August 2016

हार कर जितने वाले को (बाज़ीगर नहीं) साक्षी कहते हैं......


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बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख़ खान की फ़िल्म 'बाज़ीगर' का एक मशहूर डायलॉग है "हार कर जीतने वाले को बाज़ीगर कहते हैं" और इस डायलॉग को रील लाइफ से रियल लाइफ में रियो में भारत की महिला पहलवान साक्षी मालिक ने सच कर दिखाया है! जी हाँ बड़ी ही दिलचस्प बात है कि रियो ओलिंपिक में रोहतक की साक्षी का सफर काफी उतार - चढ़ाव से भरा रहा और उन्होंने हर मुक़ाबले में पिछड़ने के बाद अंत में जीत दर्ज की है! बुधवार देर रात ब्राज़ील के रियो शहर में  खेले जा रहे अहम् मुक़ाबले में 23 साल की साक्षी कजाकिस्तान की अइसुलू टाइबेकोवा से 58 किलोग्राम वर्ग में दावपेंच लगा रही थी! कोरिओका एरेना-2 में हुए इस मुकाबले मे एक समय साक्षी 0-5 से पीछे थीं, लेकिन दूसरे राउंड में उन्होंने उलट-पलट करते हुए इसे 8-5 से जीत लिया! इससे पहले क़्वालीफाईंग राउंड में साक्षी ने 0-4 से पिछड़ने के बाद 5-4 से मुक़ाबला जीता, वहीँ दूसरे मुक़ाबले में 0-3 से पिछड़ने के बाद 5-5 से जीत दर्ज किया था और रिपचेन्ज मुक़ाबले में 2-2 से पिछड़ने के बाद 12-3 से विजयी रही!   



गौरतलब है कि साक्षी ओलंपिक कुश्ती स्पर्धा में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला एथलीट हैं! इस स्पर्धा का गोल्ड जापान की कोओरी इको ने जीता, जबकि रूस की वालेरिया काबलोवा ने सिल्वर हासिल किया! काबलोवा ने ही क्वार्टर फाइनल में साक्षी को हराया था! पहले राउंड में विरोधी पहलवान साक्षी पर भारी पड़ी और वो 0-5 से पिछड़ गई। लेकिन दूसरे राउंड में साक्षी ने शानदार वापसी करते हुए किर्गिस पहलवान को चारों खाने चित कर दिया। निर्णायक स्कोर टेइक्निकल प्वॉइंट्स 8-5 और क्लास प्वॉइंट्स 3-1 रहा। साक्षी ने साढ़े सात घंटे के अंदर पांच फाइट पूरी की। 

पदक जीतने के बाद साक्षी ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा, देश में काफी निराशा थी एक भी पदक नहीं आ पाया था। पर अब काफी अच्छा लग रहा है। जबसे मैंने ओलंपिक को जाना है तभी से मैंने सोचा था कि मुझे पदक जीतना है। गीता दीदी ने क्वालिफाई कर दिया तभी लगा कि जब वह क्वालिफाई कर सकती हैं मैं भी करूंगी। फिर जब मैंने भी क्वालिफाई कर लिया तब मैंने यही सोचा कि मैं पदक जीतकर पहली भारतीय महिला बनूंगी। सालों की मेहनत पूरी हो गई। अब पूरी दुनिया मुझे अलग तरह से दिखाई देगी।

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