Friday, 21 October 2016

क्या नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / किशनगंजी को इलाके के बारे में सोचने का अधिकार नहीं?

क्या नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / किशनगंजी को इलाके के बारे में सोचने का अधिकार नहीं?

पिछले कई सालों से सोशल मीडिया के माध्यम फेसबुक, व्हाट्सएप्प में सक्रिय रहने वाला एक समुदाय किशनगंज, पूर्णिया प्रमंडल और सीमांचल के मुद्दों पर तरह - तरह से अपने विचार रखते हैं! बात मुद्दों के नाम पर शुरू होती है और होनी भी चाहिए लेकिन हद तब हो जाती है जब अपने को सर्वश्रेष्ठ दिखाने के चक्कर में लोग सारी मर्यादा को लाँघ लेते हैं! इंसानी फितरत है की लोगों को अपनी कमी कभी नज़र नहीं आती और इसका कोई हल भी नहीं है जब तक कोई अपने गिरेबान में झाँक कर न देखे! इन्हीं मुद्दों में से एक मुद्दा है नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / सीमांचली होने का और इस वर्ग पर ऊँगली उठाई जाती है कि उनको इस इलाके की मुद्दों पर सोशल मीडिया पर चर्चा करने का कोई अधिकार नहीं! अक्सर चर्चा होती है और कहा जाता है कि जो लोग इस इलाके से बाहर यानि दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता या भारत के अन्य शहरों या विदेशों में रह कर नौकरी करते हैं उन्हें यह अधिकार नहीं है कि वे इस इलाके में कुछ दिनों के लिए आकर किसी तरह का कार्यक्रम या जागरूकता अभियान चलाएँ! इस खास वर्ग की सलाह है कि अगर कोई नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / सीमांचली को अगर सचमुच इस इलाके के लोगों और मुद्दों के बारे में चिंता है तो सब कुछ छोड़छाड़ कर वापस आ जाएँ और जमीनी स्तर पर कार्य करें!



भावुक (इमोशनल) होकर कोई भी समझदार व्यक्ति एक झटके में कहेगा की बिलकुल सही बात है जब तक कोई आदमी ज़मीनी सतह / स्तर पर मौजूद नहीं रहेगा वह कैसे किसी तरह के काम को अंजाम दे सकता है! एक पल के लिए मैं भी इनकी हाँ-में-हाँ मिलाऊँगा कि बिना मौके पर / जमीनी स्तर पर मौजूद रहके कैसे आप समाज की बेहतरी के लिए कोई काम कर सकते हैं! लेकिन, क्योंकि मैं भी नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / सीमांचली हूँ और देश के केंद्रीय विश्वविद्यालय में कार्यरत हूं मेरे विचार बिलकुल विपरीत हैं! मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि दूर रहकर भी अपने समाज या शहर के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है! ज़रूरत बस इस बात की है कि आपके अंदर ज़ज्बा और अपने समाज या शहर के लिए कुछ करने की चाहत होनी चाहिए! वैसे भी अगर आप भारत के दूसरे शहरों या विदेशों में रहकर किसी कंपनी या संस्थान में काम करते हैं तो कहीं-न-कहीं सुरजापुरी समाज और सीमांचल छेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं! आप यह ज़रूर कोशिश करेंगे कि आपके इलाके के लोगों को भी उस कंपनी या संस्थान में रोजगार के अवसर प्राप्त हों! जहाँ तक मुमकिन हो आप यह भी कोशिश करते हैं कि टेस्ट या इंटरव्यू के लिए गाइडलाइन्स दे दिए जाएँ ताकि आपके हमवतन को रोज़गार मिल जाये! वहीँ नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / सीमांचली होकर आप जो कुछ भी कमाते हैं भले ही बड़े स्तर पर न हो लेकिन उस पैसे से आपके परिवार और रिस्तेदारों को कुछ-न-कुछ फायदा तो पहुँच ही रहा है! वहीँ अगर आपके अंदर काबिलियत है तो आप इससे बड़े स्तर पर भी सोचना शुरू कर देते हैं और अपनी छुट्टियों में अपने शहर या इलाके में कुछ-न-कुछ करने की कोशिश करते हैं जिससे आम लोगों का भला होता है! हालिया दिनों में फ्री हेल्थ कैंप, शिक्षा के लिए जागरूकता अभियान, रिलीफ कैंप आदि का आयोजन नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / सीमांचली के द्वारा अकेले या किसी संस्था के बैनर तले किया जाता है! 

लेकिन कुछ स्थानीय समूह नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / सीमांचली के द्वारा समाज और इलाके की भलाई के लिए की जाने वाली इन गतिविधियों को प्रोपेगंडा और सेल्फ - प्रोमोशन का तरीका बताते हुए तरह - तरह के इलज़ाम लगाते हैं! इस खास विरोधी प्रवृति वाले समूह का कहना है कि ऐसे नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / सीमांचली लोग समाज के लिए खतरा हैं और इनकी मंशा आगे चलके राजनीती करना भी है! अगर व्यक्ति विशेष को छोड़कर बड़े स्तर पर किशनगंज और सीमांचल के विकास को ध्यान में रखा जाये तो मैं इन बातों से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखता! नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / सीमांचली भी इस छेत्र के विकास में बहुमूल्य भूमिका अदा कर सकते हैं, ज़रूरत इस बात है कि जो स्थानीय समूह अपने अंदर विरोधी मानसिकता लेकर चलते हैं वे कम-से-कम मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा तो करें! लेकिन ये स्थानीय समूह ऐसा करेंगे नहीं क्योंकि उनको फ़ेसबुकिया सोशल एक्टिविस्ट बनकर अपने को समाज का सबसे बड़ा मसीहा होने का दावा करने में मज़ा आता है! 

आखिर में मेरा सवाल इन स्थानीय मसीहाओं से है कि नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / सीमांचली वापस अपने घर आ जाएँ तो क्या आप उन्हें पूरा सम्मान देंगे? आप उनको रोज़गार दे पाएंगे? क्या आप उनके बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित कर पाएंगे? बिलकुल नहीं क्योंकि यह इलाक़ा आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा है और इसके चौतरफा विकास के लिए सीमांचल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नक़्शे पर लाने की आवश्यकता है जिसमें नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / सीमांचली वापस अहम भूमिका निभा सकते हैं! 

सच तो यह है कि अगर कुछ क्षण के लिए हम अगर इस बात को मान भी लें की जो नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / सीमांचली वापस अपने घर आ जाएँ तब भी सबसे ज्यादा परेशानी इन्हीं स्थानीय समूह के पहरेदारों को होगी! फिर वे तो यह कहने लगेंगे कि सालों - साल बाहर रह कर अपने निजी स्वार्थ के लिए यह नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / सीमांचली वापस ज़मीनी स्तर पर काम करने आया है! और कुछ दिनों में वही लोग नॉन-रेजिडेंट सुरजापुरी / सीमांचली को बेरोज़गार और निकम्मा कहेंगे क्योंकि इस छेत्र में अच्छे रोज़गार के अवसर नहीं के बराबर हैं!


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