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लौचा पुल संघर्ष सिर्फ टेढ़ागाछ का नहीं
किशनगंज, पूर्णिया और सीमांचल की जनता साथ दें
अब हम अपनी हक़ लेकर रहेंगे...क्योंकि हम में स्वंत्रता सेनानी की खून है...हम ग़ुलामी पसन्द नहीं करते।।।यह शब्द (कहना) है लौचा पुल संघर्ष समिति का! गौर कीजिए, किशनगंज के निवासी होने के नाते हम सबकी जिम्मेवारी बनती है कि हम गौर करें!
अगर घर / परिवार / मोहल्ले / कॉलोनी में प्रशासनिक या सरकार की अनदेखी से कुछ दिक्कत आ जाती है तो हम फ़ौरन आवाज़ बुलंद करते हैं! सचमुच एक जिम्मेवार नागरिक और मनुष्य होने के नाते हमें समय - समय पर अपनी समस्याओं से प्रशासन / सरकार को विभिन्न माध्यमों से अवगत कराना भी चाहिए! लेकिन अगर आपके ही अपने ज़िले का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ नदी पर एक पुल नहीं होने की वज़ह से आजादी के करीब 70 वर्षों के बाद भी कई तरह की कठिनाइयों का सामना कर रहा है और हम चुप हैं तो ये एक बहुत ही दुःखदायक स्तिथि है! जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ किशनगंज ज़िले के टेढ़ागाछ ब्लॉक का जहाँ की लाखों की आबादी कौल नदी के लौचा पथ पर पुल नहीं होने की वजह से रोज़ाना तरह - तरह की परेशानियों को झेल रहे हैं! स्थानीय निवासियों के मुताबिक आम दिनों में तो वे चचरी (बाँस) पुल से नदी को पार कर लेते लेकिन बरसात के मौसम में तो स्तिथि और भयावह हो जाती है और समय पर नाव नहीं मिलने से कई बीमार लोगों की जान भी जा चुकी है!
लौचा घाट पर पुल निर्माण के लिए टेढ़ागाछ ब्लॉक के लोगों की लंबे समय से माँग रही है! आख़िरकार बिहार सरकार का ध्यान इस तरफ आकर्षित हुआ और 2011 में मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार ने पुल निर्माण की घोषणा कर दी जिससे इस इलाके के लोगों में नई उम्मीद जगी! वर्षों से कष्ट झेल रहे लोगों को लगने लगा की कुछ ही दिनों में लॉच घाट पर पुल देखने का उनका सपना पूरा हो जायेगा! हालाँकि वर्ष 2012 में पुल निर्माण का कार्य शुरू भी हो गया और निर्माण कंपनी ने दो वर्षों के अंदर यानि 2014 में करीब 450 मीटर लंबे पुल के काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा! लेकिन बड़े ही अफ़सोस की बात है कि महज़ 450 मीटर लंबे पुल का निर्माण करीब 5 साल बीतने के बाद भी पूरा नहीं हुआ है! अब तक करीब 60 प्रतिशत काम हुआ है और पुल निर्माण का कार्य अधूरा है जिसको लेकर स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश और अनिश्चिता है! इसी संबंध में लौचा पुल संघर्ष समिति ने टेढ़ागाछ प्रखंड मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन किया जिसमें हर वर्ग के लोगों ने भाग लिया! लेकिन यह संघर्ष अकेला सिर्फ टेढ़ागाछ के लोगों का नहीं होना चाहिए, बल्कि हम सब किशनगंज ज़िला, पूर्णिया कमिश्नरी एवं सीमांचल के लोग भी उनका दिल खोल कर साथ थें ताकि उनके जायज़ मांग की तरफ सरकार का ध्यान जाये और लौचा पुल मॉनसून (बरसात के मौसम) से पहले तैयार हो जाये!
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