Tuesday, 31 October 2017

BNMU बीएनएमयू के छात्रों के अंधकारमय भविष्य के लिए कौन ज़िम्मेवार??


कल यानि 30 अक्टूबर 2017 का दिन शिक्षा जगत खासकर बिहार राज्य के लिए काला दिवस के रूप में रहा ! वज़ह था मधेपुरा स्तिथ भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय (बीएनएमयू) द्वारा डिग्री पार्ट - 1 के परीक्षाओं को आनन - फानन में अंतिम क्षणों में रद्द करना ! गौरतलब हो करीब दो हफ्ते पहले भी बीएनएमयू द्वारा करीब दो हफ्ते पहले भी दीपावली और छठ की छुट्टियों की वज़ह से सभी परीक्षाओं को रद्द किया गया था और इसे 30 अक्टूबर से प्रारंभ करने की सुचना दी गई थी ! लेकिन 29 अक्टूबर तक विवि ने छात्रों में असमंजस की स्तिथि बनाए रखा और काफी देर से परीक्षाओं को रद्द करने का नोटिस जारी किया ! ज़ाहिर है परीक्षा की तैयारी में लगे छात्रों में आक्रोश की भावना जगना स्वाभाविक था !अपने भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ के विरोध में बीएनएमयू से अंगीभूत कॉलेजों के छात्रों ने विवि प्रशासन के खिलाफ जगह - जगह प्रदर्शन किया ! छात्रों के बढ़ते हुए आक्रोश को देखकर हालात सामान्य करने के लिए विभिन्न जिलों में कॉलेजों के आसपास पुलिस बुलानी पड़ी ! किशनगंज ज़िला मुख्यालय स्तिथ मारवाड़ी कॉलेज में भी छात्रों ने ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया और उन्हें काबू में करने के लिए पुलिस को लाठियाँ चलानी पड़ी जिसमें कई छात्र घायल हो गए ! 



बेशक अपने अंधकारमय भविष्य की चिंता में छात्रों ने सड़क जाम किया, टायर जलाकर आवागमन ठप करने की कोशिश की जिसके जवाब में पुलिस ने विधि - व्यवस्था बनाए रखने के लिए कारवाई की ! पुलिस की कारवाई में लाठियाँ चली जिससे कई छात्र बुरी तरह घायल हो गए और उन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती करना पड़ा ! हालाँकि लोगों ने छात्रों के उग्र प्रदर्शन और पुलिस की कारवाई की आलोचना की लेकिन ऐसी स्तिथि के लिए ज़िम्मेवार कौन है ? अगर सीधे तौर पर कहा जाए तो ऐसे हालात के लिए भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय प्रशासन जिसमें कुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक आदि उच्च पदाधिकारी ज़िम्मेवार हैं ! सच कहें तो वर्ष 1992 में विश्वविद्यालय बनने के भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय स्नातक (Graduation) एवं स्नातकोत्तर (Post Graduation) में अकादमिक सत्र में अनिमियत्ता और विलंब के लिए बदनाम रहा है ! विवि में  तीन वर्ष के पाठ्यक्रम (course) स्नातक करने में सामान्यतः 6 वर्ष लग जाते हैं जबकि कुछ सत्रों में 7 वर्ष भी लगा है ! वहीँ दो वर्ष के पाठ्यक्रम (course) स्नातकोत्तर (Post Graduation) को पूरा करने में भी छात्रों को कई वर्ष लग जाते हैं !

यानि यु कहें कि भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय ने अपनी अनिमियत्ता से छात्रों के उज़्ज़वल भविष्य को अंधकारमय करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है ! 30 अक्टूबर 2017 को घटी घटना कोई नई है, विवि और इसके अंगीभूत कॉलेजों में चल रही अनियमित्ताओं के खिलाफ पहले भी सैंकड़ों बार विरोध प्रदर्शन हो चुके है लेकिन किसी के कान में जूं नहीं रेंगती ! बीएनएमयू के अंतर्गत बिहार के सीमांचल जिलों के कई कॉलेज आते हैं जिनमें किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल आदि शामिल हैं ! वर्षों से बीएनएमयू के कॉलेजों  में पढ़ने वाले  विद्यार्थियों को नामांकन से लेकर परीक्षा और डिग्री लेने तक कई तरह की यातना का सामना करना पड़ता है ! लेकिन विद्यार्थियों को अंधकार की तरफ धकेलने की तरफ कोई ज़िम्मेवारी लेने को तैयार नहीं है ! इस विवि के कुलपति का कार्यकाल 3 वर्षों का होता हो जो पालक झपकते ही समाप्त हो जाता है ! हर नया कुलपति पदभार सँभालने के बाद वादों की लाइन लगा देते हैं और मुरारीलाल के हसीन सपनों दिखाने से कतराते नहीं हैं !  लेकिन अंत में स्तिथि जस की तस रहती है ! वहीँ बीएनएमयू के ज़्यादातर कॉलेजों में वर्षों से स्थायी प्राचार्य नहीं हैं जिससे शिक्षा व्यावस्था चौपट हो गई है ! चाहे लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल की 15 वर्षों की सरकार हो या नितीश कुमार की 2005 से चल रही सरकार किसी ने भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय (बीएनएमयू) को बदहाली से बाहर निकालने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया ! भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय (बीएनएमयू) की स्तिथि और विवि प्रशासन की गैरजिम्मेदारी वाले रवैये से हज़ारों छात्रों का भविष्य बर्बाद हो रहा है ! अब वक्त आ गया है कि राज्य सरकार और स्थानीय सांसद, विधायक एवं अन्य नेतागण भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय (बीएनएमयू) प्रशासन के ढुलमुल रवैये को गंभीरता से ले वरना विद्यार्थियों के साथ - साथ हज़ारों परिवारों का भविष्य अंधकारमय होता रहेगा ! वहीँ माननीय मुख्यमंत्री के 7 निश्चय वाली महत्वकांछी परियोजना बेमानी हो जाएगी ! 

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