इस बुधवार (14 सितम्बर) को किशनगंज जिला मुख्यालय में एक काफी दर्दनाक
घटना घटी जहाँ एक नौजवान फैसल रशीद, पिता श्री शब्बीर अहमद (पथ निर्माण
विभाग में गुणवत्ता
निरीक्षक पद पर कार्यरत) ने अज्ञात कारणों से खुद को गोली मारकर आत्महत्या
कर ली! घटना मेरे न्यू कॉलोनी (कबीर चौक से सटे) किशनगंज स्थित निवास के
काफी क़रीब (50 मीटर) की दूरी पर घटी जिसने मुझे और मोहल्ले के लोगों को
अंदर से झकझोर कर रख दिया! एक दिन पहले यानि मंगलवार (13 सितम्बर) को जब
मृतक युवक का परिवार ईद-उल-अज़हा (बकरीद) मनाने में व्यस्त था किसी को यह
गुमान भी नहीं था कि दूसरे ही दिन इतने बड़े सदमे का सामना करना पड़ेगा! इस
घटनाक्रम से मैं भी काफी विचलित हो गया और इस निष्कर्ष पर पहुँचा की भले ही
आत्महत्या के पीछे चाहे वजह कुछ भी रही हो लेकिन इस परिवार के चिराग़ को
छीनने में अहम् किरदार लाइसेंसी बंदूक का रहा जिसे परिवार के मुखिया ने
अपने और अपने परिवार के लोगों की सुरक्षा के लिए ख़रीदा था!
फैसल पूर्णिया कॉलेज में बीए पार्ट -2 का छात्र था और बकरीद मनाने घर आया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार घटना के वक्त घर में परिवार के सभी सदस्य मौजूद थे तभी एक कमरे से गोली की आवाज आई। गोली की आवाज सुन घर के सभी सदस्य कमरे की ओर दौड़े। फैसल ने अपने रूम को अंदर से बंद कर रखा था इसलिए दरवाजे का लॉक तोड़कर जब घर लोग कमरे के अंदर गए तो घरवालों के होश उड़ गए। फैसल मृत अवस्था में पंलग पर पड़ा था और उसके ठीक बगल में दो नाली बंदूक थी। पुलिस के मुताबिक बंदूक को गले से सटाकर गोली मारी गई है। हालाँकि पुलिस को किशनगंज की घटना के पीछे के कारणों का कुछ पता नहीं चला है और बेहतर है दुःख की इस घड़ी में पीड़ित परिवार को इस बड़े सदमे से उबरने का मौका दिया जाए!
न्यू कॉलोनी, किशनगंज में घटी इस दुःखदायक घटना ने फिर एक बार जानलेवा हथियार को अपनी रक्षा के लिए घर में रखने के चलन पर बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है? आज जिस तरह से इनफार्मेशन टेकनोलॉजी और इन्टरनेट की दुनिया विकसित हुई है उससे यह साबित हो गया है कि बच्चे से लेकर बूढ़े तक हर उम्र के लोगों में तकनिकी संसाधनों जिसमें जानलेवा हथियार के इस्तेमाल के बारे में भी जानकारी आसानी से उपलब्ध है! खासकर बच्चे और युवा उत्सुकता में या विषम परिस्थितियों में ऐसी जानलेवा हथियारों के प्रयोग से ज़रा भी नहीं हिचकिचाते हैं और अनजाने में बहुत बड़ी गलती कर देते हैं जिनमें उनकी जान भी चली जाती है! न्यू कॉलोनी में घाटी यह घटना भी काफी हद तक आज के आधुनिकरण के दौर में व्यक्तिगरत सुरक्षा के लिए हथियारों के खरीदने के लिए लगी होड़ के दुष्प्रभावों की तरफ इशारा करती है!
फैसल रशीद की असामयिक मौत समाज के लिए एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह और सबक़ है, जिसने एक परिवार को हमेशा के लिए ग़म के माहौल में धकेल दिया है! इस घटना से सबक़ लेते हुए जो लोग अपनी खुद की सुरक्षा के लिए जानलेवा हथियारों को शौक से खरीदते हैं यह ज़रूर सुनिश्चित करलें कि क्या आपको उसकी आवश्यकता है? अगर आपको सचमुच लगता है कि जानलेवा हथियारों जैसे लाइसेंसी पिस्तौल, राइफल, बंदूक आदि व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए खरीदना ज़रूरी है तो यह सुनिश्चित करलें कि ऐसे हथियार छोटे बच्चों, नव युवकों और नौजवानों की पहुँच से दूर रहें! वरना आपकी खुद की सुरक्षा में ख़रीदे गए हथियार आपके लाड़ले या काफी प्यारे व्यक्ति की जान ले सकते हैं जिसकी भरपाई दुनिया में आखरी साँस तक कोई नहीं कर सकता है!
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