केंद्र सरकार द्वारा 8 नवंबर को लिए गए नोटबंदी के फैसले के खिलाफ विपक्षियों दलों ने बुधवार (11 जनवरी, 2017) को किशनगंज जिला मुख्यालय में समाहरणालय के सामने सर्वदलीय महाधरना का आयोजन किया! इस धरने में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), कांग्रेस, ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन (एआईएमआईएम) के अलावा कई छोटी - बड़ी पार्टियों के नेता और कार्यकर्त्ता शामिल हुए! जबकी इस धरने से बिहार की सत्तारूढ़ महागठबंधन सरकार की मुख्य पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने अपने को अलग रखा ! हालाँकि महाधरना आयोजकों ने अपने कुछ फ्लेक्स / पोस्टर्स में जनता दल (यूनाइटेड) के नेताओं की तस्वीर प्रकाशित की थी जिसपर पार्टी ने आपत्ति दर्ज किया!
इस मौके में उपस्थित विभिन्न पार्टियों के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ - साथ हज़ारों लोगों को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल के पंचायती एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री मो. गुलाम रब्बानी ने कहा कि नोटबंदी के 62 दिन बीत जाने के बाद भी देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर जारी है। नोटबंदी के फैसले के कारण कई राज्यों के माइक्रो स्केल डंडस्ट्री बंद हो गए हैं। लोग बेरोजगार होकर भूखे पेट सोने को विवश हैं लेकिन पीएम मोदी लोगों को डिजिटल इंडिया के सपने दिखा कर भंवर जाल में छोड़ दिए हैं। उन्होंने कहा की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में पहली बार केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी मामले में विपक्षी दल के नेताओं से विचार-विमर्श नहीं किया गया, जो लोकतंत्र के मर्यादा का घोर उल्लंघन है। यही वजह है कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में आपातकाल जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। लोगों के बैंक खातों पर आरबीआई ने राशि निकासी की सीमा निर्धारित कर दी है। जिसके कारण मध्यम और निम्न वर्गीय श्रेणी के लोगों के साथ किसानों के सामने दो जूल की रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है।
वहीँ किशनगंज के सांसद श्री मौलाना असरारूल हक कासमी ने अपने भाषण में कहा कि देश की आर्थिक हालात में सुधार के लिए नोटबंदी होती रही है। इसके तहत जब कभी भी पुराने नोटों को बैन किया गया। उसके पहले सभी प्रकार की तैयारी पूरी कर ली जाती थी। पिछले साल आठ नवंबर को केंद्र सरकार ने अचानक नोटबंदी का एलान कर दिया गया। लोग अपने काम-धाम छोड़ कर बैकों के सामने कतार में खड़े होने पर मजबूर हो गए। अब भी ऐसे लोगों के सामने नोटबंदी के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
एआइएमआइएम के प्रदेश अध्यक्ष श्री अख्तरूल इमान ने कहा कि नोटबंदी मामले में सीएम नीतीश कुमार का रूख नरम है। लगता है कि उनके मन में कहीं न कहीं मोदी प्रेम की भावना जाग्रत होने लगी है जबकि सूबे के लोगों ने उनपर विश्वास कर अपना समर्थन दिखाया था। केंद्र सरकार को चाहिए कि नोटबंदी के कारण लोगों को होने वाली परेशानियों से निजात दिलाने की अविलंब व्यवस्था करें। इनमें मुख्य रूप से बैंक खाता से राशि निकासी की सीमा को समाप्त करना, दो हजार और पांच सौ रूपये के नोट को लोगों के जरूरत के अनुरूप बैंकों में उपलब्ध करवाना और किसानों को केसीसी ऋण पर ब्याज में छूट मिले। इससे कि लोग पुन: अपने लिए रोजगार और स्वरोजगार की खोज कर सके।
इस दौरान जिला परिषद् उपाध्यक्ष कमरूल होदा, राजद जिलाध्यक्ष इंतखाब आलम, सांसद प्रतिनिधि प्रो. शफी, इदु हुसैन, इस्तियाक अहमद, अहमद, सरफराज खान, शाहिद रब्बानी, शकील अहमद, नीरज कुमार और आफताब यजदानी सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
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