लौचापुल निर्माण संघर्ष समिति को चाहिए विधायक विनय बिहारी जैसे राजनेता का साथ
पिछले कई महीनों से किशनगंज ज़िला के टेढ़ागाछ प्रखंड अंतर्गत निर्माणाधीन लौचापुल को लेकर स्थानीय लोगों एवं आसपास के इलाके के लोगों ने संघर्ष तेज़ कर दिया है! लौचापुल संघर्ष समिति के नाम से गठित समूह तरह - तरह विरोध प्रदर्शन का आयोजन करके मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार और बिहार सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं ! वहीँ लौचापुल संघर्ष समिति के द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम फेसबुक (Facebook) और व्हाट्सएप (WhatsApp) पर भी इस मुद्दे को ज़ोरदार तरीके से बार - बार उठाने के बावजूद बड़ी कामयाबी हासिल नहीं हुई है! यह एक बहुत बड़ी सच्चाई है कि कोई भी संघर्ष हो जब तक उसे राजनितिक समर्थन या मार्गदर्शन प्राप्त नहीं हो उसका जल्दी हल (परिणाम) नहीं निकलता ! ऐसे में मुझे बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के लौरिया विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक विनय बिहारी ने सड़क निर्माण को लेकर विरोध-प्रदर्शन का अनोखा तरीका काफी कारगर लगता है।
गौरतलब हो पिछले वर्ष अक्टूबर महीने से विनय बिहारी हाफ पैंट और बनियान में रह रहे थे और लोगों के बीच भी यही पहनकर जा रहे थे। उन्होंने प्रण लिए था कि जब सड़क का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा, तब मैं खुद पायजामा-कुर्ता पहन लूंगा। यही नहीं विनय बिहारी शीतकालीन सत्र के साथ - साथ वर्तमान बजट सत्र में हाफ पैंट और बनियान पहनकर विधानसभा परिसर में धरने पर बैठ चुके हैं। आख़िरकार बिहार सरकार और पथ निर्माण विभाग के मंत्री तेजस्वी यादव को विनय बिहारी के सामने झुकना पड़ा और सरकार ने सड़क निर्माण के लिए 80 करोड़ रुपए स्वीकृत कर दिए ! तेजस्वी यादव ने स्वयं विधायक विनय बिहारी को कुर्ता - पजामा पहनाकर उनका अभिवादन किया ! इसी तर्ज पर अगर लौचापुल निर्माण संघर्ष समिति को विधायक विनय बिहारी जैसे राजनेता का साथ मिल जाए तो निर्माणाधीन पुल का कार्य जल्दी पूरा हो सकता है !
लेकिन लौचापुल निर्माण संघर्ष को चारों विधायकों के सत्ताधर पार्टी से जुड़े होने के कारण राजनितिक प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है ! इसकी सबसे बड़ी वजह है कि बहरदुरगंज विधानसभा छेत्र (टेढ़ागाछ प्रखंड) के विधायक श्री तौसीफ आलम हैं जो सत्तापक्ष की पार्टी कांग्रेस के प्रतिनिधि हैं और वे खुलकर लौचापुल संघर्ष समिति के समर्थन में नहीं आ रहे हैं ! वहीँ किशनगंज के अन्य तीन विधानसभा छेत्रों के विधायक भी सत्ता पक्ष के हैं जो क्रमशः हैं कोचाधामन विधानसभा छेत्र - श्री मुजाहिद आलम (जनतादल यूनाइटेड), किशनगंज विधानसभा छेत्र - डॉ० जावेद आज़ाद (कांग्रेस) तथा ठाकुरगंज विधानसभा छेत्र - श्री नौशाद आलम (जनतादल यूनाइटेड) ! अतः चारों विधायकों के सत्ताधर पार्टी से जुड़े होने के कारण लौचापुल निर्माण संघर्ष को राजनितिक प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है ! हालाँकि सांसद मौलाना असरारुल हक़ कासमी इस मुद्दे के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की है लेकिन वे भी अपने आपको सिर्फ सहानुभूति व्यक्त करने तक सिमित रखे हैं! कुछ विरोधी दल के नेताओं ने लौचापुल निर्माण संघर्ष समिति की बैठकों एवं धरना - प्रदर्शन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराके समर्थन दिखाया है लेकिन वर्त्तमान में विधायक नहीं होने की वजह से वे विधानसभा में इस मुद्दे को मजबूती से नहीं उठा सकते!
ज्ञात हो कि लौचापुल का करीब 30 से 40 फीसद हिस्से का काम संपूर्ण नहीं हुआ है और अगर अभी काम शुरू नहीं होता तो ऐसे में इस बार फिर बारिश / मॉनसून में स्थानीय लोगों को फ़ज़ीहत झेलनी पड़ेगी ! यह एक बहुत बड़ी सच्चाई है कि कोई भी संघर्ष हो जब तक उसे राजनितिक समर्थन या मार्गदर्शन प्राप्त नहीं हो उसका जल्दी हल (परिणाम) नहीं निकलता ! ऐसे में मुझे बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के लौरिया विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक विनय बिहारी ने सड़क निर्माण को लेकर विरोध-प्रदर्शन का अनोखा तरीका काफी कारगर लगता है। पिछले करीब 4 - 5 महीने से भाजपा विधायक हाफ पैंट और बनियान (गंजी) पहनकर ‘दंडवत’ करते विधानसभा पहुँच रहे थे ! यहीं नहीं विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन कार्यवाही में भाग लेने के लिए विधायक हाफ पैंट और गंजी पहनकर छठव्रती की तरह सड़क पर ‘दंडवत’ करते विधानसभा मुख्य द्वार तक पहुंचे। इससे पहले भी विधायक शीतकालीन सत्र में हाफ पैंट और बनियान पहनकर विधानसभा परिसर में धरने पर बैठ चुके हैं।
अगर विनय बिहारी की तरह किशनगंज ज़िले का कोई स्थानीय नेता लौचापुल संघर्ष में साथ देने के लिए आगे आता है तो यह उम्मीद की जा सकती है टेढ़ागाछ की जनता का 70 वर्ष का बनवास ख़तम हो जाएगा वरना इस इलाके को आने वाले कई सालों तक परेशानियाँ झेलनी पड़ेगी !
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