पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि 12 अप्रैल, 2017 से पहले जम्मू-कश्मीर राज्य से बीएड करने वाले शिक्षकों की डिग्री को किस आधार पर अमान्य माना जा रहा है? न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने उषा कुमारी द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह जानकारी मांगी है. अदालत ने इसके साथ ही याचिकाकर्ता के नियोजन पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है.
अदालत को याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ब्रजेश कुमार ने बताया कि याचिकाकर्ता सोनपुर के गोपाल सिंह उच्च विद्यालय की शिक्षिका हैं. सीटीई द्वारा 2007 से ही जम्मू-कश्मीर के बीएड संस्थानों को मान्यता दी जाने लगी है. बिहार सरकार ने शिक्षक नियोजन नियमावली में 12 अप्रैल, 2017 को संशोधन कर जम्मू-कश्मीर राज्य के बीएड की डिग्री प्राप्त किये शिक्षकों को मान्यता देनी शुरू की है. उक्त तिथि से पहले जिन शिक्षकों को जम्मू-कश्मीर से बीएड की डिग्री मिली है, उनके नियोजन को खारिज करने का आदेश दिया है. अदालत को बताया गया कि सरकार का आदेश मनमाना प्रतीत होता है. अदालत ने याचिकाकर्ता की दलील को सही माना.
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