Sunday 10 July 2016

डॉ० ज़ाकिर नायक को नफरत का उपदेशक कहना कहाँ तक उचित है?

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बांग्लादेश के एक आतंकवादी के फेसबुक फॉलोइंग के आधार पर डॉ० ज़ाकिर नायक को नफरत और आतंकवाद का उपदेशक कहना कहाँ तक उचित है? अगर अख़बारों और टेलीविज़न न्यूज़ चैनलों में दिखाई गई ख़बरों के अनुसार एक आम हिन्दुस्तानीं और आम इंसान की नज़रिए से मैं भी ज़ाकिर नायक को दोषी मानूँगा! लेकिन मैंने ज़ाकिर नायक के वीडियो के माध्यम से दिए गए ज्यादातर संदेशों को ध्यानपूर्वक सुना है, इसलिए सिर्फ आधे-अधूरे तथ्यों के आधार पर मैं यह नहीं मान सकता की उनके प्रत्यक्ष समर्थकों में दूसरे धर्म के प्रति नफरत या दूसरों को  धर्म के नाम पर जान से मारने की भावना जगती है! हमारे देश की कानून व्यवस्था और सरकार डॉ० ज़ाकिर नायक से जुड़े तथ्यों पर जाँच करवाए और सत्य को सामने लाए क्यूँकि इससे एक धर्म विशेष पर आस्था रखने वाले करोड़ो लोगों पर प्रश्न चिंह लग गया है! 




पिछले कई दिनों से इस्लामिक धर्म के वक्ता और स्वयं को तुलनात्मक धर्म (comparative religion) उपदेशक कहने वाले डॉ० ज़ाकिर नायक ग़लत कारणों से विवादों में फँसे हैं! बांग्लादेश में हुए हालिया आतंकवादी हमले के एक स्थानीय अख़बार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मारे गया एक आतंकी ज़ाकिर नायक को फेसबुक पर फॉलो करता था और इनसे प्रेरित था! बांग्लादेश के अख़बार में छपी ख़बर को भारत सरकार ने गंभीरता से लेते हुए उनकी गतिविधियों की छानबिन शुरू कर दी! गृह मंत्रालय के निर्देशनुसार पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने ज़ाकिर नायक से जुड़े हर पहलु पर जाँच शुरू कर दी है  जिनमें प्रमुखता से नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA) शामिल है! केंद्र सरकार ने साफ़ तौर पर कहा है कि ज़ाकिर नायक के खिलाफ मिले सबूतों के आधार पर उचित कारवाई की जाएगी! 

वहीँ भारतीय मीडिया ने भी इंटरनेट पर उपलब्ध ज़ाकिर नायक के यूट्यूब वीडियो और अन्य ऑनलाइन / ऑफलाइन तथ्यों के आधार पर उनको गुनहगार करार कर दिया है! मीडिया के माध्यम से जो तथ्य पेश किये गए हैं उससे यह आभास लग रहा है कि ज़ाकिर नायक को अपना पक्ष रखना काफी मुश्किल होगा!  हालाँकि फ़िलहाल सऊदी अरब में उमराह कर रहे ज़ाकिर नायक ने वीडियो के ज़रिये अपना पक्ष रखने की कोशिश की है लेकिन उसको हमारे संवैधानिक व्यवस्था और न्यायपालिका में स्वीकारा नहीं जा सकता है! वहीं जाकिर नायक ने अपने समर्थकों से भी फेसबुक और यू ट्यूब सहयोग की अपील है और 11 जुलाई को मक्का से मुंबई वापसी पर उनकी पुलिस के सामने पेशी होगी! खैर, न तो मीडिया और न ही एक आम हिंदुस्तानी किसी के सही या ग़लत होने का फैसला नहीं कर सकता, देश की सरकार और कानून इस गंभीर मुद्दे पर सही निर्णय ले सकता है!

अब अहम सवाल है कि एक आतंकवादी के फेसबुक फॉलोइंग के आधार पर डॉ० ज़ाकिर नायक को नफरत और आतंकवाद का उपदेशक कहना कहाँ तक उचित है? अगर अख़बारों और टेलीविज़न न्यूज़ चैनलों में दिखाई गई ख़बरों के अनुसार एक आम हिन्दुस्तानीं और आम इंसान की नज़रिए से मैं भी ज़ाकिर नायक को दोषी मानूँगा! लेकिन मैंने ज़ाकिर नायक के वीडियो के माध्यम से दिए गए ज्यादातर संदेशों को ध्यानपूर्वक सुना है, इसलिए सिर्फ आधे-अधूरे तथ्यों के आधार पर मैं यह नहीं मान सकता की उनके सारे प्रत्यक्ष समर्थकों में दूसरे धर्म के प्रति नफरत या दूसरों को  धर्म के नाम पर जान से मारने की भावना जगती है! सच कहूँ तो मैं एक हिंदुस्तानी परिवार में पैदा हुआ जो इस्लाम धर्म पर विश्वास रखता था और मुझे भारतीय होने के साथ-साथ एक मुस्लमान भी होने की पहचान मिली! मेरे परिवार और रिश्तेदारों में कुछ बरेलवी विचारधारा के थे तो कुछ देववन्दी विचारधारा इसलिए इस्लाम धर्म पर आधारित मेरे क्रियाकलाप मिले-जुले थे! मेरे परिवार वाले कभी देववन्दी या बरेलवी विचारधारा को लेकर कठोर नहीं हुए और हमलोग सहूलियत के हिसाब से किसी भी मस्जिद में नमाज़ पढ़ लेते थे! मैं मज़ार पर फ़ातेहा के लिए भी जाता था और 3 दिन की जमाअत में भी गया हूँ! लेकिन मैंने इन दोनों मसलकों (विचारधाराओं) में ज्यादा टकराव ही देखा जी कहीं-न-कहीं दुःख मुझे चिंतित करता था! दोनों मसलकों के छोटी - छोटी बातों को लेकर आपसी मतभेदों की वजह से मन में कई सवाल आते थे और यह जिज्ञासा रहती थी कि इस्लाम मज़हब के हिसाब से क्या सही है और क्या ग़लत! जो आलिम थे वे भी अपने-अपने मसलक (विचारधारा) की हिमायत करते हुए दूसरी विचारधारा को ग़लत बताते थे, जिससे एक आम मुस्लमान पूरी तरह कंफ्यूज (भ्रमित) हो जायेगा! 

आख़िरकार कुछ सालों पहले मुझे मेरे कई जटिल और अनसुलझे सवालों का जवाब बहुत हद तक मिला जिसका एक अहम सूत्रधार डॉ० ज़ाकिर नायक रहे हैं! ज़ाकिर नायक के लेक्चरों के आधार पर मैंने इस्लाम धर्म के पाँच मुख्य स्तंभों (i) क़लमा तैयबा पर विश्वास (ii) पाँच वक़्त की नमाज़ (iii) रोज़ा (iv) ज़कात और (v) हज़ के बारे में विस्तृत जानकारी मिली और मैंने उनपर गौर करना शुरू किया! उनके दूारा पवित्र कुरान और सही हदीस के हवाले से दिए गए वक्तयव काफी प्रभावशाली होते थे जिससे इस्लाम धर्म को लेकर कई तरह की आशंकाएँ दूर हो गयी! ज़ाकिर नायक दूारा इस्लाम और तुलनात्मक धर्म के आधार पर दिए गए लेक्चर जैसे इस्लाम और हिन्दू धर्म में समानता (similarities between Hinduism and Islam) मुझ जैसे फॉलोवर्स को काफी प्रभावित किया! वहीँ कई लेक्चरों में उनके दूारा एक अच्छा मुस्लमान और एक अच्छा इंसान बनने से सम्बंधित दिए गए वक्त्वयों का मेरे जीवन पर काफी असर हुआ! मैंने रोज़मर्रा की जिंदगी में इस्लाम को व्यवहारिक तौर पर उतारना शुरू कर दिया, धीरे - धीरे मुझ में कई तरह की तब्दिलयाँ आई  जिनमें प्रमुख था एक अच्छा मुस्लमान बनकर दूसरे धार्मिक आस्था का भी पूरा आदर करना था! क्यूंकि इस्लाम धर्म का शाब्दिक अर्थ "सलामती" होता है इसलिए मुझे दूसरों को मदद करने वाली प्रवृति पैदा हुई जिसे मैं हमेशा सही से पालन करने की कोशिश करने लगा! जिन दो मुख्य मसलकों देववन्दी या बरेलवी ने मुझे धार्मिक तौर पर मुझे एक दायरे में महदूद (सिमित) कर दिया था, ज़ाकिर नायक के लेक्चरों ने उससे पर्दा उठा दिया और और "सर्वधर्म सहाय" वाली भावना मेरे अंदर पैदा हुई! आज मैं अपने को काफी सहज और अच्छा इंसान महसूस करता हूँ, जिसमें ईमान के साथ इंसानियत बरक़रार रखना एक प्रमुखता है! साथ-ही-साथ धार्मिक आस्था में विविधता के बावजूद एक सच्चे भारतीय और इंसान के रूप में जीवन गुज़ारना मेरे लिए एक प्रमुखता है! 

अगर ज़ाकिर नायक ने मेरे जैसे कई मुसलमानों को सालों से मसलक के नाम चली आ रही अन्तःविरोध से बाहर निकालकर सही रास्ता सुझाया तो इसमें बुराई क्या है! हाँ सही धर्म जानने से कुछ मुल्लाओं की दुकान ज़रूर बंद हो गई है जो इस मौके का भरपूर फायदा उठाने में लगे हैं! सच कहुँ तो ऐसे मुल्लाओं को न तो धर्म से कोई दिलचस्पी होती है और न तो देशवासियों और न तो इंसानियत की भलाई चिंता है, ये अपने निजी स्वार्थ के लिए धर्म का गलत इस्तेमाल भी करते हैं! ज़ाकिर नायक ने इन मुल्लों का पर्दाफाश किया और समय-समय पर आलोचना झेलते रहें हैं! लेकिन इस बार जो आरोप ज़ाकिर नायक पर लगे हैं वे काफी गम्भीर हैं! मीडिया ट्रायल या मसलक के नाम पर आपसी मतभेदों के आधार पर किसी को दोषी या निर्दोष नहीं कहा जा सकता है! हमारे देश की कानून व्यवस्था और सरकार डॉ० ज़ाकिर नायक से जुड़े तथ्यों पर जाँच करवाए और सत्य को सामने लाए क्यूँकि इससे एक धर्म विशेष पर आस्था रखने वाले करोड़ो लोगों पर प्रश्न चिंह लग गया है! 

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