Sunday 7 August 2016

एएमयू किशनगंज कैंपस बाउंड्री वाल (दिवार) बाढ़ से क्षतिग्रस्त

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एएमयू किशनगंज कैंपस बाउंड्री वाल (दिवार) बाढ़ से क्षतिग्रस्त-

पिछले पखवाड़े सीमांचल के साथ-साथ किशनगंज (बिहार) में आये भयंकर बाढ़ ने पुरे ज़िले के साथ-साथ ज़िला मुख्यालय के नज़दीक चकला स्तिथ अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के निर्माणाधीन कैंपस को भी अपने चपेट में ले लिया है! महानंदा नदी के तट पर स्तिथ एएमयू किशनगंज कैंपस के अधिकतर हिस्से में बाढ़ का पानी भर गया और करोड़ों रुपए के लागत से बने बाउंड्री वाल (दिवार) को भारी नुकसान पहुँचाया है! बाढ़ के पानी के तेज़ धार और दबाव में जगह-जगह से एएमयू किशनगंज की दिवार गिर चुकी है जिसकी वजह से कैंपस निर्माण कार्य को बड़ा धक्का लगा है! जहाँ एक तरफ विवि के कैंपस निर्माण कार्य में बाढ़ की वजह से हानि हुई है वहीँ दूसरी तरफ किशनगंज में एएमयू के विशेष (स्पेशल) ब्रांच की पूर्णतः स्थापना की राह देख रहे स्थानीय निवासियों को मायूसी हुई है! एएमयू किशनगंज की स्थापना के संघर्ष में पिछले 6 - 7 वर्षों से विवि के ओल्ड बॉयज एवं विभिन्न संस्थानों को इस ताज़ा घटना से बड़ा झटका लगा!




ज्ञात हो कि एएमयू किशनगंज के लिए केंद्र और राज्य सरकार के बीच लंबे विवाद एवं आम लोगों की एक लंबे संघर्ष के बाद बिहार सरकार ने दिसंबर 2011 में विवि प्रशासन को 224 एकड़ जमीन मुहैया करवाई थी! लेकिन कड़वी सच्चाई यह बिहार सरकार द्वारा एएमयू को दी गयी 224 एकड़ में से करीब 70 एकड़ ज़मीन महानंदा नदी में जलमग्न है! जिससे 2011 में बिहार में शासित जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) गठबंधन की एनडीए (NDA) सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगना वाजिब है! वहीँ उस वक्त केंद्र में कांग्रेस संचालित यूपीए सरकार ने वर्ष 2014 तक एएमयू किशनगंज के लिए कोई अनुदान राशि नहीं निर्गत किया जिससे चकला में विवि की अपनी जमीन पर भवन निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो पाया! 

वर्ष 2014 में केंद्र में बीजेपी अधीन एनडीए सरकार ने हालाँकि विवि के अनुरोध पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने करीब 135 करोड़ रुपए का अनुदान  किशनगंज केंद्र (कैंपस) को देने की अनुशंसा की! लेकिन अनुशंसा के करीब पौने 2 वर्ष बीतने के बाद भी एएमयू किशनगंज को पूरी राशि प्राप्त नहीं हुई! सिर्फ टोकन मनी के रूप में इस वर्ष जनवरी के महीने में केंद्र से किशनगंज के एएमयू कैंपस को 10 करोड़ की राशि प्राप्त हुई जो बहुत ही कम थी और यह राशि विवि की गतिविधियों को चलाने के लिए छोटे अंतराल में समाप्त हो गई!

एक तरफ फण्ड (अनुदान) की कमी की मार झेल रहे एएमयू किशनगंज की हालात ऐसे ही ख़राब है वहीँ बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुई दिवार ने कैंपस को बहुत ही बड़ा आर्थिक आघात दिया है! फिलहाल एएमयू किशनगंज में बीएड एवं एमबीए की पढाई होती है लेकिन फण्ड के अभाव में आर्थिक तंगी की मार झेल रहे स्पेशल कैंपस का भविष्य अंधकारमय है! ज़रूरत इस बात की है इस छेत्र की आर्थिक एवं शैक्षिक पिछड़ापन देखते हुए बिहार सरकार जहाँ कैंपस की ज़मीन को बाढ़ मुक्त करवाने के स्थाई उपाय निकाले, वहीँ केंद्र सरकार एएमयू किशनगंज केंद्र के लिए अपनी अनुशंसा के अनुसार 135 करोड़ में से बची 125 करोड़ की राशि जल्द-से-जल्द निर्गत करवाये! वरना एएमयू  कहीं माज़ी की दास्तान बनके न रह जाए, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा! 
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