Wednesday 23 November 2016

मुद्दा! सोंथा (कोचाधामन) में उर्दू पर इंटरनेशनल कांफ्रेंस करना कितना उचित?

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ह्यूमन चेन नामी सीमांचलवासियों द्वारा गठित गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) अगले महीने, 11 दिसंबर को किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड में स्थित सोंथा हाट में उर्दू पर आधारित एक बड़ा इंटरनेशनल कांफ्रेंस का आयोजन करने जा रहा है! आयोजकों के मुताबिक इस कांफ्रेंस में बिहार के शिक्षा एवं सुचना प्रसार मंत्री माननीय डॉ० अशोक चौधरी, जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर तलत अहमद के साथ -साथ एनसीपीयूल (NCPUL) के डायरेक्टर एवं देश तथा विदेश (खाड़ी देशों) से कई गणमान्य वक्ता उपस्थित होंगे! लेकिन जब से सोंथा हाट में आयोजित होने वाले इस इंटरनेशनल कांफ्रेंस की घोषणा हुई है इसको लेकर पक्ष - विपक्ष में मिली-जुली प्रतिक्रिया आ रही है! जहाँ एक तरफ ह्यूमन चेन कांफ्रेंस की तैयारी में जुटा हुआ है, वहीँ दूसरी तरफ विरोधी भी तरह - तरह के इलज़ाम लगा रहे हैं! 


ह्यूमन चेन के अध्यक्ष मोहम्मद असलम अलीग ने का कहना है कि किशनगंज और सीमांचल छेत्र में तालीमी बेदारी लेन के लिए इस तरह के प्रोग्राम को आयोजित करने की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है! इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सोंथा में इंटरनेशनल कांफ्रेंस आयोजित किया जा रहा है जिसके बहुआयामी फायदे होने के उम्मीद हम रखते हैं! वहीँ संस्था के महासचिव डॉ० खालिद मुबश्शीर, असिस्टेंट प्रोफेसर, जामिया मिलिया इस्लामिया का कहना है कि कांफ्रेंस में उर्दू ज़बान के साथ - साथ इस इलाके में तालीमी पश्मान्दगी पर भी गौर - व - फ़िक्र किया जायेगा! इस कांफ्रेंस में देश व दुनिया के विभिन्न छेत्रों में महारत रखने वाले कई दिग्गज शामिल होंगे जिससे सोंथा की इतिहासिक धरती से किशनगंज ही नहीं बल्कि पुरे सीमांचल में एक सकारात्मक सन्देश जायेगा! उन्होंने कहा कि इस कांफ्रेंस के आयोजन को लेकर स्थानीय लोगों की काफी मदद मिल रही है और हमें यह उम्मीद है कि यह प्रोग्राम काफी कामयाब रहेगा!

जहाँ इस प्रोग्राम को लेकर ह्यूमन चेन के सदस्यगण काफी उत्सुक हैं वहीँ इंटरनेशनल कांफ्रेंस को लेकर एक समूह में काफी रोष है और तरह - तरह से वे अपने विरोध को दर्ज कर रहे हैं! विरोधी खेमे का कहना है कि सोंथा को किसी तरह के तालीमी बेदारी की ज़रूरत नहीं है और यह कांफ्रेंस सिर्फ कुछ लोगों के जाती (व्यक्तिगत) फायदे के लिए आयोजित किये जा रहे है! उनका कहना है कि उर्दू के नाम पर मुख्य अथिति के रूप में शिक्षा मंत्री को बुलाया जा रहा है जो खुद उर्दू के बारे में गंभीर नहीं है, इसलिए यह कांफ्रेंस सियासी एजेंडा हैं! इसी तरह के कई आरोप - प्रत्यारोप पिछले कुछ हफ़्तों से चले आ रहे हैं! 

अब बड़ा सवाल है कि क्या वाकई सोंथा हाट या कोचाधामन को किसी इंटरनेशनल कांफ्रेंस की ज़रूरत है? अगर सिर्फ सोंथा में ही स्थित शिक्षण संस्थानों को देखें तो कोई भी कहेगा की ऐसे कांफ्रेंस की क्या ज़रूरत है क्योंकि यहाँ कई स्कुल और मदरसे हैं! और बात यहीं ख़तम हो जाएगी कि सोंथा में इंटरेनशनल कांफ्रेंस आयोजित करने का कोई औचित्य नहीं है! लेकिन जब एक बड़े परिदृश्य में आप इस प्रखंड के भोगोलिक और आर्थिक स्थिति को देखेंगे तो यह बात सामने आती है कि सोंथा हाट सिर्फ कोचाधामन ही नहीं बल्कि किशनगंज के दूसरे प्रखंडों के लिए एक बड़ा हब है! सोंथा हाट से जो बात उठती है या जो सोच पैदा होती है वे आसपास के इलाकों में भी फैलती है! यही वजह है कि किशनगंज जिले के आईईएस, आईआरएस के अलावा कई अहम प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाले लोग सोंथा यानि कोचाधामन ब्लॉक से ही ताल्लुक रखते हैं और दूसरे प्रखंडों एवं जिले में रहने वाली युवा पीढ़ी उनसे प्रेरणा लेते है! वहीँ किशनगंज और सीमांचल के सियासी परिदृश्य में भी कोचाधामन का बड़ा रोल रहता है! ऐसे में अगर यहाँ उर्दू पर इंटरनेशनल कांफ्रेंस आयोजित किया जा रहा है तो इसके बहुआयामी लाभ लोगों को पहुँच सकते हैं!  

 हम सबको अच्छी तरह पता है कि कोचाधामन, किशनगंज, पूर्णिया प्रखंड और सीमांचल बिहार के अन्य जिलों और देश के अन्य प्रान्तों के मुकाबले काफी पिछड़ा है और इस तरह के कार्यक्रम इलाके को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म पर पहचान दिलाते हैं! हो सकता है की कांफ्रेंस के बहाने ही इस इलाके के भाग खुल जाएँ!  किसी भी कार्यक्रम के अच्छे - बुरे दोनों पहलु होते हैं! हो सकता है जो पहलु आपको ख़राब लग रहा है वह दूसरों के लिए अच्छा और मुफीद हो सकता है! इसलिए सोंथा को भी इंटरनेशनल कांफ्रेंस को आयोजित करने का मौका मिलना चाहिए, इसके अच्छे - बुरे पहलु पे बाद में स्वेच्छा से चर्चा हो सकती है!
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