Sunday 26 July 2020

तू - तू , मैं - मैं नहीं, मुद्दों पर चुनाव लड़िए साहब, किशनगंजवासियों को गुमराह नहीं हमराह कीजिए  - Fight Politics in Kishanganj

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तू - तू , मैं - मैं नहीं 

मुद्दों पर चुनाव लड़िए साहब,

किशनगंजवासियों को गुमराह नहीं, हमराह कीजिए 

बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल नहीं बजा है और कोरोना महामारी (कोविड - 19) एवं लॉकडाउन की वजह से चुनावों की औपचारिक घोषणा नहीं हुई है | लेकिन किशनगंज ज़िले के चारों विधानसभा छेत्रों में सक्रिय पार्टियों एवं भावी चुनावी प्रत्याशियों तथा उनके समर्थकों ने काल्पनिक चुनाव लड़ना शुरू कर दिया | सोशल मीडिया के 2 अहम प्लेटफार्म फेसबुक (Facebook) तथा व्हाट्सएप (WhatsApp) पर जहाँ एक तरफ नए-नए उम्मीदवार अपने प्रत्याशी होने का दावा कर रहे हैं उनके समर्थक भी बढ़ा - चढ़ा कर अपने नेता के समर्थन में दावा पेश कर रहे हैं | 



बेशक चुनाव एक जंग की तरह है और मशहूर कहावत है कि मोहब्बत और जंग में सब जायज़ है | लेकिन जब किसी भी मुद्दे पर सीमाएँ लाँघते है तो फिर आपका वक्तव्य भटक जाता है और आपकी बातों का वज़न भी घट जाता है | ये भी हो सकता है कि लोग आपको गंभीरता से न लें जिससे आपको काफी नुकसान हो सकता है | ऐसा ही कुछ माहौल किशनगंज में बनाया गया है लगातार कोशिश की जा रही है कि लोगों को उलझा कर रखा जाए | बताता चलूँ कि किशनगंज के चार विधानसभाओं में 2 पर जनता दल (यूनाइटेड) का कब्ज़ा है, मुजाहिद आलम कोचाधामन से विधायक हैं जबकि नौशाद आलम ठाकुरगंज से विधायक हैं | वहीँ किशनगंज विधानसभा सीट से कमरुल होगा विधायक हैं (2019 में उपचुनाव में एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव जीते) जबकि बहादुरगंज से तौसीफ आलम विधायक हैं | चार में तीन विधानसभा छेत्रों के विधायकों ने दो या दो से ज़्यादा बार चुनाव जीता है, तौसीफ आलम ने 4 बार चुनाव जीता है, जबकि नौशाद आलम और मुजाहिद आलम ने 2 बार चुनाव जीता है | 

ग़ौर करने वाली बात ये है कि जो विधायक दो से ज़्यादा बार चुनाव जीत चुके हैं वो ज़्यादा ख़लबली नहीं मचा रहे हैं, लेकिन वहीँ चाहे  एआईएमआईएम से बिहार के एकलौते विधायक के ख़ेमे के लोग काफी हलचल मचाए हुए हैं |  एआईएमआईएम प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान की अगुवाई में पार्टी ने सिर्फ सीमांचल ही नहीं बल्कि बिहार के 30 से ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान किया है | चुनाव लड़ना सबका संवैधानिक अधिकार है लेकिन अधिकारों का नकारात्मक तौर पर किसी को भला - बुरा पर इस्तेमाल करना उचित नहीं है | वहीँ कुछ अन्य पार्टियों के भावी प्रत्याशी एवं निर्दलीय चुनाव लड़ने की मंशा रखने वाले प्रत्याशी भी मुद्दों पर नहीं बल्कि इधर - उधर की बातें कर अपनी दावेदारी को मजबूत करने कोई क़सर नहीं छोड़ते हैं | जब भी आप फेसबुक पर जाते हैं ऐसा लगता है कि किशनगंज ज़िले में भारी उथल - पुथल हो गया है | ऐसा लगता है कि लोग परेशान हैं और हर चीज़ के लिए वही ज़िम्मेदार हैं, जिनको उन्होंने जितवाया उनपर कोई ज़िम्मेदारी नहीं है | वहीँ कुछ बुद्धिजीवी सारी सीमाएँ लाँघ कर ज़िले के पढ़े-लिखे लोग जो अलग - अलग छेत्रों में कार्यरत हैं उनपर नेताओं की नाकामी का ठेकरा फोड़ते हैं | वहीँ हर एक से दो दिन पर एक पार्टी के समर्थक / कार्यकर्ता एक दूसरे को निचा दिखाने के लिए फेसबुक पर विवादित पोस्ट डालते हैं जिसपर फालतू की बहस होती है और आपसी रिश्ते भी ख़राब होते हैं | मिसाल के तौरपर हसन जावेद का  एआईएमआईएम पार्टी का दामन थामना या श्वेता आर्या एवं पार्टी के बिच अनबन को बड़े मुद्दे के तौर पर विचार-विमर्श करना समय की बर्बादी है | 
 
लेकिन सोशल मीडिया पर ऐसी बहस से न तो आम जनता को कोई फायदा नहीं और न ही इससे किशनगंज का विकास हो सकता है |  ज़रूरत तो इस बात कि है की चाहे वर्तमान विधायक हों या भावी प्रत्याशी, कांग्रेस पार्टी हो या जनता दल (यूनाइटेड), आरजेडी हो या  एआईएमआईएम या फिर कोई निर्दलीय उम्मीदवार, हर कोई मुद्दों पर बात करे |  विवादास्पद बातों से किसी को कोई फायदा नहीं उल्टा आपसी रिश्ते और संबंध में खटास आ गई है एवं इससे किशनगंज आने वाले समय यूँ कहें कि दशकों तक पिछड़ा ही रह जायेगा | वहीँ युवाओं खासतौर पर फेसबुक पर सक्रीय युवाओं से अपील है कि सोशल मीडिया पर बहस से किसी को कुछ हासिल नहीं होगा | संयम रखें और मुद्दों (एजेंडा) पर आधारित प्रत्याशी एवं पार्टी को चुनाव में अपना कीमती वोट देकर विधानसभा भेजें | अंत में सभी राजनीतिक पार्टियों उनके नेताओं (विधायकों) एवं सक्रीय प्रत्याशियों से अपील है  मुद्दों पर चुनाव लड़िए साहब, किशनगंजवासियों को गुमराह नहीं हमराह कीजिए  | 
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