Wednesday 6 July 2016

बचपन की ईद ! यादों के झरोखे से.............

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सबसे पहले आप सबको ईद-उल-फितर की बहुत-बहुत मुबारकबाद 

दुनिया भर में ईद-उल-फितर के त्यौहार को लेकर बच्चे, बड़ों और बुजुर्गों में काफी उत्सुकता है और हर कोई अपने-अपने तरीके से ईद मना रहा है! लेकिन बचपन की ईद का कुछ अलग ही मज़ा होता है जिसे शायद ही कोई भूल पाता है! मैं जुड़वा बेटियों का पिता हूँ लेकिन आज भी अपने भाई-बहनों के साथ मनाई गई ईद के त्यौहार की यादें ताज़ा हैं! आज उन्हीं पलों को संजों कर मैं यह लेख लिख रहा हूँ जी कहीं-न-कहीं आपको भी बचपन के उन हसीन पलों को याद दिलाएगा!



आज सऊदी अरब के अलावा भारत में केरल राज्य के साथ-साथ दुनिया के कई हिस्सों में ईद-उल-फितर का त्यौहार मनाया जा रहा है! इस्लाम धर्म के सबसे बड़े और मक़बूल त्यौहार ईद-उल-फितर में मुसलमानों के साथ-साथ दूसरे मज़हब के लोग भी ईद की खुशियों में शामिल होते हैं! रमज़ान के 29 या 30 रोज़े रखने के बाद इस खुशगवार त्यौहार को मनाने के लिए रोज़ेदारों में अलग ही जोश व खरोश होता है! लेकिन छोटे बच्चों में भी इस त्यौहार को लेकर काफी उत्सुकता देखने को मिलती हैं! आज जब अपनी जुड़वा बेटियों शिफा मुदस्सीर और शज़ी मुदस्सीर में ईद को लेकर उत्सुकता देखी तो मैं अपने बचपन की यादों के झरोखे में चला गया! 


हमलोग चार भाई-बहन हैं, जब हमलोग छोटे थे तो रमज़ान के महीने में ही अलग मज़ा आता था इसकी कई वजह थीं! हालाँकि बहुत छोटा होने की वजह से मुझपे रोज़े फ़र्ज़ नहीं थे, लेकिन अम्मी-अब्बू के साथ सेहरी के लिए उठने की उत्सुकता हमेशा रहती थी! सेहरी में जागने की खास वजह थी शुद्द दूध से बना कुल्हड़ वाली दही और साथ में रोटी या चूड़े का अनोखा स्वाद! उसके बाद इफ्तार में रूहअफ्जा शर्बत और साथ में स्वादिष्ट पकवान जिनका ज़ायका आज भी याद आता है! और हम बच्चों के लिए सबसे खास होता था ईद-उल-फितर के मौके पर मिलने वाले नए-नए कपड़े जिसके लिए अपने अब्बू से तरह-तरह की माँग रखते थे! अगर माँगे पूरी हुई तो ठीक वरना काफी गुस्सा भी किया करते थे! यूँ कहे की ईद-उल-फितर हम बच्चों के लिए खुशियों की सौगात लेकर आता था जिसमें ज़ायकेदार पकवानों के साथ ठंडी शरबतें और आखिर में कपड़े मन को काफी लुभावने होते थे! 

मेरी तरह आप भी जब बच्चे रहे होंगे आपके साथ भी ऐसे ही दिन गुज़रे होंगे जो हमेशा यादों के झरोखें की तरह गुदगुदाते हुए चले जाते हैं! आज अपनी बेटियों को देखकर वे बचपन की यादेँ ताज़ा हो गई! उनको भी स्वादिष्ट पकवानों का इंतज़ार रहता है, ईद में मनपसंद कपड़ों की चाहत रहती है और क्यूंकि वे बेटियाँ हैं तो इस त्यौहार के मौके पर हाथों में मेहंदी लगवाने का शौक है! एक पिता होने के नाते मैं कोशिश करता हूँ कि उनकी जायज़ माँगो को पूरा करूँ और उनके बचपन को यादगार बनाऊँ जैसा की मेरे अब्बू - अम्मी ने हमारे बचपन में किया था! वहीं बढ़ती उम्र के साथ जिम्मेदारियों के बीच कहीं-न-कहीं बचपन की ईद और उसके हसीन पलों को भी काफी मिस करता हूँ! 

वे बचपन के दिन भले ही वापस नहीं आएँगे लेकिन कुछ शब्दों के माध्यम से उन दिनों को याद करने का एक अलग ही एहसास दिलाता है! उम्मीद है आपके पास भी ऐसे खट्टे-मीठे पलों की यादें होंगी उनको  संजोकर रखिये क्यूँकि भागदौड़ की इस जिंदगी में थोड़ा अपने को भी आराम देना बहुत जरूरी है! अगर मेरी तरह आपके भी अनुभव हों तो इस पोस्ट के नीचे जरूर अपनी यादों को साझा कीजिए! 


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