Thursday 21 July 2016

किशनगंज जिले में बाढ़ से जीवन अस्त व्यस्त! नेपाल की नदियों ने परेशानी बढ़ाई

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पिछले कई दिनों से लगातार हो रही बारिश से किशनगंज जिले की सभी नदियाँ खासकर महानंदा, कनकई, डोंक, मेची, रतुवा, आदि में जलस्तर बढ़ने के कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हो गयी है! किशनगंज जिले और आसपास की जिलों पूर्णिया, अररिया एवं कटिहार में बाढ़ के कारण जीवन अस्त व्यस्त हो गया है! खासकर निचले इलाकों और नदी से सटे गाँवों में रहने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है! इन इलाकों में लोगों के घर तो पानी में डूबे गए हैं और वे अपने मवेशियों के साथ ऊँचे स्थानों पर आसरा लिए हुए हैं! हालाँकि जिला प्रशासन लोगों को हर संभव राहत और सहायता पहुँचाने के लिए मुस्तैद है लेकिन फिर भी लोगों को काफी दिकत्तों का सामना करना पड़ रहा है! उम्मीद है की अगले कुछ दिनों में नदियों का जलस्तर कम होने पर ही लोगों को बाढ़ से राहत मिलेगी! 



गौरतलब हो की सीमावर्ती इलाके भारत - नेपाल सीमा (बॉर्डर) पर बहने वाली मेची नदी की वजह से मॉनसून के दौरान किशनगंज जिले का ज्यादातर हिस्सा बाढ़ की चपेट में आता है! वहीँ भारत और नेपाल के बीच जल की निकासी को लेकर कोई ठोस समझौता और दिशा-निर्देश नहीं होने के कारण पडोसी देश से नदियों में छोड़े गए पानी की वजह से भयावाह स्तिथि पैदा हो जाती है! इसका सबसे विकट और भयंकर परिणाम 2008 में बिहार कोसी नदी के किनारे बसे लोग झेल चुके हैं, लेकिन आठ वर्ष गुजरने के बावजूद भी जलसंधि को लेकर भारत सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है! सीमाँचल के इलाकों में भी लगभग हर वर्ष लाखों लोग बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं और जान-व-माल का भारी नुकसान होता है! अब समय आ गया है कि राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार आपसी समन्वय से नेपाल से जलसंधि पर विस्तृत चर्चा करे और नदियों में जल छोड़ने के दिशा-निर्देश तय करे वरना हर वर्ष बरसात के मौसम में ऐसी स्तिथि बनी रहेगी और लाखों लोग तबाह होते रहेंगे! 
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