Monday 26 December 2016

अच्छा आप यूनिवर्सिटी में हैं वाला आम सवाल? और उच्च शिक्षा के लिए शॉर्टकट वाली सुरजापुरी मानसिकता

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अच्छा आप यूनिवर्सिटी में हैं वाला आम सवाल?
और उच्च शिक्षा में शॉर्टकट वाली मानसिकता,


एक शिक्षाविद और शिक्षाप्रेमी के लिए यूनिवर्सिटी (विश्वविद्यालय) वो भी सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में नौकरी करने से बेहतर कोई जगह नहीं हो सकता! सच कहिये तो मैं अपने को खुशकिस्मत मानता हूँ कि मुझे अपने ही राज्य बिहार में स्तिथ प्रथम केंद्रीय विश्वविद्यालय को जन संपर्क अधिकारी (पीआरओ) के रूप में योगदान देने का मौका मिला है! यहाँ मैं बताता चलूँ कि मेरे पिताजी स्वर्गीय प्रोफेसर मसऊद आलम भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय (बीएनएमयू) से अंगीभूत किशनगंज जिले के अंतर्गत बहादुरगंज स्तिथ नेहरू कॉलेज में अंग्रेजी विभाग के विभागाद्यक्ष थे इसलिए घर में कॉलेज और यूनिवर्सिटी को लेकर जानकारी पहले से ही थी! मेरे पिताजी स्वर्गीय प्रोफेसर मसऊद आलम के कुशल मार्गदर्शन और दुवाओं की वजह से सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि मेरा छोटा भाई मोहम्मद सरवर आलम भी प्रतिष्ठित अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के किशनगंज कैंपस में डिपार्मेंट ऑफ बिज़नेस मैनेजमेंट में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत है! 



मैं करीब तीन वर्षों से केंद्रीय विश्वविद्यलाय दक्षिण बिहार (सीयूएसबी) में जन संपर्क अधिकारी के पद पर कार्यरत हूँ जिसके पठन - पाठन का कार्य पटना और गया शहरों में किराये के मकान में चल रहा है! क्योंकि मेरा ताल्लुक सीमांचल के किशनगंज एवं कटिहार जिलों से है इसलिए स्वभाविक तौर पर मुझे यह ख्वाहिश होती है की इस इलाके के बच्चे (छात्र) भी मेरी यूनिवर्सिटी में पढ़ें! लेकिन बहुत ही अफ़सोस और निराशा की बात है कि पिछले तीन वर्षों के अगर आंकड़ों को देखें तो सीमांचल छेत्र के विद्यार्थियों का प्रतिशत नहीं के बराबर है जिसकी तादाद फ़िलहाल 5 - 6 है! आमतौर पर पूर्णिया कमिश्नरी के लोगों में खासकर सुरजापुरी बिरादरी में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू, अलीगढ), जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली एवं दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, ग्रेट नोएडा आदि के प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में एडमिशन लेने की उत्सुकता रहती है! वहीँ अपने ही राज्य में स्तिथ केंद्रीय विश्वविद्यालय एवं किशनगंज स्तिथ एएमयू कैंपस में एडमिशन को लेकर न तो इतनी उत्सुकता देखने को मिलती है और न ही वे जानना चाहते हैं! जबकि अपने ही राज्य में रहते हुए उच्च शिक्षा प्राप्त करना काफी सुविधाजनक है और छात्रों के माता - पिता को भी ज्यादा फिक्रमंद नहीं होना पड़ता है! 

क्योंकि मैं समय - समय पर विभिन्न तरह के लोगों से मिलता रहता हूँ इसलिए ये सवाल आम है, आप क्या करते हैं? जब मैं बताता हूँ कि मैं केंद्रीय विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार में पीआरओ हूँ तो कुछ समय के लिए सन्नाटा छा जाता है! आमतौर पर जवाब मिलता है कि पटना यूनिवर्सिटी में क्या? फिर मैं ज्यादा विस्तार से बताता हूँ ये एक नई यूनिवर्सिटी है जिसकी शुरुवात साल 2009 में केंद्र सरकार द्वारा की गई है! यह भी एएमयू, जेएनयू, जामिया मिलिया इस्लामिया की तरह एक यूनिवर्सिटी है ! फिर अगला सवाल होता है पढाई - लिखाई होती है क्या यूनिवर्सिटी में? उस सवाल का भी जवाब देता हूँ और यूनिवर्सिटी में पढाये जानेवाले अंडरग्रेजुएट (Under Graduate) और पोस्टग्रेजुएट (Post Graduate) स्तर पर पढाये जाने वाले कई विषयों के बारे भी बताता हूँ! लेकिन जो विषय आमतौर पर सबको आकर्षित करता है वह है बीएड (B.Ed.) जिसके बारे में पूछताछ होती है! जब मैं बताता हूँ कि मेरी यूनिवर्सिटी में चार साल का इंटीग्रेटेड बीए बीएड (B.A. B.Ed.) और बीएससी बीएड (B.Sc. B.Ed.) की पढाई होती है तो फिर दिलचस्पी कम हो जाती है! आगे बात जब एडमिशन के बारे में होती है जो ऑनलाइन एंट्रेंस टेस्ट (Online Entrance Test) के जरिये होता है उसपर आते - आते ज्यादातर लोग दिलचस्पी खो देते हैं! फिर भी एक बार पूछा जाता है 2 साल वाला बीएड नहीं है क्या? क्या रेगुलर क्लास अटेंड करना होता है? 

वहीँ हाल कम-व-बेश किशनगंज में चल रहे अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) स्पेशल सेंटर का भी है जहाँ बीएड (B.Ed.) और एमबीए (MBA) की पढाई  फिलहाल होती है! पहले तो आमतौर पर यह बात पता ही नहीं कि इस अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के स्पेशल सेंटर की अहमियत क्या है? अगर आप उनको समझाते हैं कि यह अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की शाखा है तो फिर वही सवाल कौन से कोर्सेज की पढाई होती है! अगर आप बता भी दें तो सवाल है की डायरेक्ट एडमिशन हो सकता है क्या? क्या क्लास करना ज़रूरी है! 

ऊपर दिए गए उदहारणों से यही निष्कर्ष निकलता है कि लोग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं हैं और न तो इसके लिए वक़्त खर्च करना चाहते हैं! एक वाक्य में कहें तो बड़ी संख्या में लोग पढाई में शार्टकट (short cut) में दिलचस्पी रखता है!  ऐसी बातों से काफी अफ़सोस होता है पूर्णिया कमिश्नरी के ज़िले के लोग उच्च शिक्षा के लिए ज्यादा इच्छुक नहीं हैं जो आने वाले समय के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है! न तो कॉलेज में पढ़ने वाले युवा और न ही उनके गार्डियनस (अभिभावक) पढाई के लिए समय देना चाहते हैं और न ही एडमिशन टेस्ट में सफल होने के लिए तैयारी करना चाहते हैं! अगर अभी भी हम नहीं जागे और गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के लिए समय निकालना चाहते तो पूर्णिया कमिश्नरी ही नहीं बल्कि पुरे सीमांचल का शैक्षणिक स्तिथि निराशाजनक बना रहेगा! समय की माँग (आवश्यकता) ये है कि हम अपने आसपास के लोगों को केंद्रीय विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार, अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी - किशनगंज आदि के बारे में जागरूक करें ताकि बीएड (B.Ed.), एमबीए (MBA) और अन्य विषयों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक युवाओं को इधर - उधर ठोकर न खाना पड़े! क्योंकि ये बात भी सच है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों से पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ - साथ उचित रोज़गार के मौके भी प्राप्त होते हैं! 


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