Tuesday 27 December 2016

एक सुझाव ! किशनगंज को 'दी 'टी सिटी ऑफ बिहार' के रूप में विकसित करने से होगा चौतरफा विकास

0
बिहार और देश के उत्तर - पूर्व में स्तिथ किशनगंज जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए काफी मशहूर है! कुदरत ने इस जिले को एक बहुत ही खुशगवार वातावरण से नवाज़ा है, जिससे यहाँ के स्थानीय निवासी काफी सकून की जिंदगी बिताते हैं! दूसरी तरफ यहाँ का सुगम वातावरण कई तरह की खेती / कृषि के लिए उपयुक्त है जिसमें धान, गेँहू, मकई, पटसन (जुट) आदि मुख्य रूप से शामिल हैं! लेकिन पिछले करीब दो दशकों में किशनगंज ज़िले में चाय की खेती भी प्रमुखता से एक नया विकल्प बनकर उभरा है! आज स्तिथि ये है कि किशनगंज जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर स्तिथ बेलवा से लेकर ज़िले के ठाकुरगंज / गलगलिया छेत्र तक चाय के बागान नज़र आते हैं! आज छोटे - बड़े बागानों में विभिन्न तरह के चाय का उत्दापन होता है जिसका निर्यात किशनगंज ज़िले से बाहर देश के कई भागों में किया जाता है! किशनगंज में उत्पादित चायपत्ती को विभिन्न ब्रांड के नाम से स्थानीय बाज़ार में बेचा जाता है! वहीँ चाय की हरी पत्तियों को पश्चिम बंगाल, असम और देश के विभिन्न भागों में स्तिथ फैक्ट्रियों में प्रोसेसिंग के लिए भेजा जाता है!


किशनगंजवासियों ही नहीं बल्कि ये पुरे सीमांचल एवं बिहार के लिए यह बहुत ही ख़ुशी की बात है कि चाय का उत्पादन राज्य में सफलतापूर्वक हो रहा है! लेकिन दूसरी तरफ ये भी हकीकत है कि किशनगंज ज़िले में चाय की खेती और चायपत्ती का उत्पाद होने के बावजूद यहाँ के स्थानीय लोगों की अर्थव्यवस्था में कुछ बड़ा बदलाव नहीं आया है! भले ही स्थानीय लोग किशनगंज में ही उत्पादित चाय की चुस्कियों का मज़ा अपने घरों, टी स्टॉलों, होटलों और हाट - बाज़ारो की चाय की दुकानों में ले रहे हैं लेकिन शायद ही वे लोग चाय के बहुमूल्य फसल (उपज) के आर्थिक महत्व पर गौर करते हैं! अगर आंकड़ों की बात करें तो किशनगंज सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि देश का एक आर्थिक तौर पर पिछड़ा इलाका है! वहीँ इस जिले में व्यवसाय के नाम पर एक - आध ही फैक्ट्रियां हैं जिससे स्थानीय लोगों को नाम मात्र का लाभ पहुँचता है! इस तथ्यों को ध्यान में रखकर यह कहा जा सकता है कि चाय में इस जिले की आर्थिक स्तिथि में क्रांतिकारी बदलाव लाने की अपार संभावनाएं हैं! लेकिन शायद राज्य सरकार ने अब तक गंभीरता से किशनगंज में पैदा होने वाले चाय से जुडी आर्थिक विकास की संभावनाओं पर विचार नहीं किया है! 

किशनगंज के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए राज्य सरकार इस जिले को 'टी सिटी' के रूप में विकसित कर सकती है! इसके अंतर्गत किशनगंज को बिहार सरकार विशेष अधिनियम लेकर 'टी सिटी' का दर्जा दे सकती है और इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए तरह - तरह के योजनाएं चला सकती है! चाय के उत्पाद को प्रोसेसिंग करने के लिए आधुनिक मशीनों से लैस टी पलांट की स्थापना की जा सकती है! वहीँ जिला मुख्यालय में एक 'टी मंडी' / टी मार्किट की भी स्थापना की जा सकती है जहाँ स्थानीय खरीदारी के साथ - साथ निर्यात के लिए उपयुक्त चैनल विकसित किये जा सकते हैं! इसके साथ - साथ अगर टूरिज्म की दृष्टि दे देखें तो जिले में स्तिथ कुछ 5 - 10 बड़े चाय बागानों को चिन्हित करके शैलानियों के ठहरने और घूमने के लिए इंतेज़ाम बिहार टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा किया जा सकता है! चाय के उत्पादों इसके इतिहास एवं इस व्यवसाय से जुड़े स्थानीय लोगों की जीवनी को एक 'टी म्यूजियम' बना कर जिला मुख्यालय में प्रदर्शित किया जा सकता है! स्थानीय प्रशासन एवं राज्य सरकार की पहल से किशनगंज को 'टी सिटी ऑफ बिहार' के रूप में विकसित करने पर सिर्फ इस जिले को ही नहीं बल्कि पुरे बिहार को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पहचान मिलेगी और ये काफी लाभप्रद साबित हो सकता है! 
Author Image
AboutMd Mudassir Alam

Soratemplates is a blogger resources site is a provider of high quality blogger template with premium looking layout and robust design

No comments:

Post a Comment