कल (29 जून, 2016) को नई दिल्ली के एक पाँच सितारा होटल में आयोजित जगमगाते कार्यक्रम में देश के ख़बरिया चैनलों और इनसे जुड़े पत्रकारों और सहयोगियों को नेशनल टेलेविशन (एनटी) अवार्ड्स से नवाज़ा गया! इस कार्यक्रम में कई अवार्ड्स दिए गए जिसमें एनडीटीवी के रवीश कुमार को बेस्ट न्यूज़ एंकर का अवार्ड दिया गया! देश के लाखों नागरिकों की तरह मैं भी कई सालों से रवीश कुमार को देखता - सुनता आया हूँ! एक दर्शक के तौर पर एनटी अवार्ड्स (NT Awards) मिलने के खास मौक़े पर मैंने जितना रवीश कुमार को जाना - समझा है उसी के आधार पर में उनके व्यक्तित्व को अपने शब्दों में बयान करने की कोशिश की है........
तो पेश है "नमस्कार! मैं रवीश कुमार बोल रहा हूँ.......................
नमस्कार! मैं रवीश कुमार बोल रहा हूँ! जी हाँ, आपका अपना रवीश कुमार, एनडीटीवी का रवीश कुमार, प्राइम टाइम वाला रवीश कुमार, बिहार के मोतिहारी ज़िले का रवीश कुमार, आपके घर के ड्रॉइंग रूम में सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे से 9:50 बजे तक आने वाला रवीश कुमार! उम्मीद है, इतने सारे हवाले के बाद शायद आप मुझे पहचान गए होंगे! बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, मुझे पहचानने के लिए!
सबसे पहले आप सबका धन्यवाद! आपलोगों की शुभकामनाओं से मुझे कल यानि 29 जून, 2016 को देश के प्रतिष्ठित एनटी अवार्ड्स (NT Awards) में हिन्दी न्यूज़ चैनल वर्ग में बेस्ट ऐंकर के अवार्ड् से नवाज़ा गया है! साथ ही साथ मेरे शो 'प्राइम टाइम' को बेस्ट करेंट अफेयर कार्यक्रम घोषित किया गया है! इसके लिए मैं आप सबका आभारी हूँ! भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का हिस्सा होने के नाते मैं देश और दुनिया में होने वाली खबरों को आपके सामने सही तथ्यों और निष्पक्षता से पेश करने की कोशिश करता हूँ! एक पत्रकार का काम ही यही होता है, वह बिना किसी भेदभाव और पक्षपात के आम लोगों तक खबर पहुँचाने का काम करता है! अपने पत्रकरिता जीवन में मैंने लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं से रूबरू होके रिपोर्टिंग के माध्यम से आपके साथ तथ्यों को साझा किया! आप लोगों ने ही एनडीटीवी पर मेरे कार्यक्रम "रवीश की रिपोर्ट" को खूब सराहा और आपकी माँग पर ही मुझे चैनल ने स्टूडियो में बैठाकर 'प्राइम टाइम' करने की जिम्मेवारी सौंप दी!
अब बात आगे बढ़ाते हुए कहना चाहूँगा कि टेलीविज़न न्यूज़ चैनल की दुनिया में मुझे एक अपवाद के रूप में देखा जाता है! मुझे नहीं पता खुद मेरे व्यवसाय से जुड़े लोगों और आप मैं से कई लोगों का मेरे प्रति ऐसा नज़रिया क्यूँ है! सच कहूँ तो मैं आप लोगों में से ही हूँ, मैं आपलोगों की तरह एक इंसान, एक आम भारतीय ही हूँ, लेकिन जो प्रतिक्रियाएँ मुझे मिलती हैं उससे थोड़ा मन विचलित हो जाता है! हर व्यक्ति में अच्छे - बुरे की आलोचना करने की प्रवृति होती है, फिर मैं कैसे अपवाद हो गया? आपकी तरह एक अच्छी सोच वाला भारतीय नागरिक होने के नाते देश में हो रही गतिविधयों पर नज़र रखने की चेष्टा रखता हूँ! इनमें से कुछ मुद्दों पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए अपने विचार सोशल मीडिया के माध्यम जैसे फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से आपके समक्ष कर रहा था! ऐसी बाते आपको विचलित नहीं करती हों, लेकिन मुझे इससे फ़र्क पड़ता है क्यूँकि मैं आखिरकार एक आम इंसान ही हूँ! अफ़सोस मेरे विचारों के आधार पर सोशल मीडिया पर और परसनल (व्यक्तिगत) मैसेज बॉक्स में इतनी धमकियाँ और अपशब्द सुनने को मिले की मुझे फेसबुक और ट्विटर को अलविदा कहना पड़ा! भले ही आज मेरे नाम पर दर्जनों फ़र्ज़ी अकॉउंट फेसबुक और ट्विटर पर चल रहे हैं लेकिन मेरा उनसे कोई वास्ता नहीं!
बेशक पत्रकारिता के प्रतिष्ठित अवार्ड्स को पाना एक सुखद अनुभव है और इसके लिए में आप सबको दिल की गहराईयों से धन्यवाद पेश करता हूं! लेकिन अंत में फिर मेरी सोच उसी जगह आकर रुक जाती है कि आपके आस-पास कुछ ग़लत हो रहा है और आपको कोई फर्क नहीं पड़ता है! अच्छे - बुरे की पहचान की समझ ईश्वर ने हर इंसान को दी है, अगर आपके दिल व दिमाग़ पर किसी घटना को देखकर थोड़ी भी हलचल होती है तो कम-से-कम प्रतिक्रिया ज़रूर दीजिए वरना प्रकृति की सर्वोच्च कृति यानी इंसान होने का कोई मतलब नहीं रह जाता!
इसलिए सोचिये, गौर कीजिए, अपने ख्यालात का इज़हार ज़रूर कीजिए ताकि यह समाज, देश और दुनिया सबके लिए एक अच्छी जगह बन सके! वरना आपके और मेरे जैसे कितने आएंगे - जाएंगे, देश कहीं नहीं जानेवाला!
धन्यवाद!
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